प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा हाल में आर्थिक सुधारों पर लिए गए निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि देश-विदेश में निवेशकों के विश्वास को मजबूत करने के लिए कड़े निर्णय लेने जरूरी थे। टेलीविजन पर राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर देश को बरगलाने का आरोप लगाया और लोगों से अनुरोध किया कि उन्हें उनके नेतृत्व में विश्वास रखना चाहिए। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा, "कड़े निर्णयों का समय आ चुका है। इसके लिए मुझे आपके भरोसे, आपकी समझ एवं आपके सहयोग की जरूरत है।" प्रधानमंत्री ने वर्तमान परिस्थितियों की तुलना 1991 से की, जब देश ने आर्थिक सुधार शुरू किए थे।
उन्होंने कहा, "हम ऐसी जगह पर हैं, जब अपनी विकास दर के धीमापन को उलट सकते हैं। हमें वैश्विक एवं घरेलू वातावरण में निवेशकों के विश्वास को जगाने की जरूरत है। हाल ही में लिए गए निर्णय इसके लिए बहुत ही जरूरी थे।" मनमोहन सिंह का उद्बोधन तृणमूल कांग्रेस द्वारा केंद्र सरकार से समर्थन वापसी का पत्र राष्ट्रपति को सौंपने के बाद आया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 1991 में कोई भी भारत को ऋण देना नहीं चाहता था। उन्होंने कहा, "आज हम उस दौर से नहीं गुजर रहे हैं। लेकिन लोगों का भरोसा हमारी अर्थव्यवस्था में खत्म हो, इससे पहले हमें अवश्य कार्रवाई करनी चाहिए।"
प्रधानमंत्री ने उस आशंका को खारिज कर दिया कि मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि संगठित रीटेल चेन पहले से ही हमारे देश में मौजूद हैं। उन्होंने कहा, "छोटे व्यापारियों के सफाए की आशंका पूरी तरह आधारहीन है।" प्रधानमंत्री ने डीजल मूल्य वृद्धि को भी जायज ठहराया। उन्होंने कहा कि घाटे की भरपाई के लिए डीजल मूल्य में प्रति लीटर 17 रुपये की वृद्धि करने की जरूरत थी और सरकार ने इसका कुछ ही हिस्सा आम आदमी के कंधे पर डाला है। प्रधानमंत्री ने कहा, "डीजल पर घाटे की भरपाई के लिए कीमत में 17 रुपये प्रति लीटर वृद्धि की जरूरत थी, जिसकी जगह हमने सिर्फ पांच रुपये वृद्धि की है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारी मात्रा में डीजल का उपयोग बड़ी कारों और स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहनों द्वारा किया जाता है, जो अमीर लोग या कम्पनियों के पास होता है। उन्होंने कहा, "क्या सरकार को उन्हें रियायत देकर भारी वित्तीय घाटा वहन करना चाहिए।" मनमोहन सिंह ने कहा कि डीजल और रसोई गैस की कीमतों में हाल की वृद्धि के बाद भी देश में इसकी कीमत पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों से कम है। उन्होंने कहा, "पेट्रोलियम उत्पादों पर कुल रियायत अब भी 160 हजार करोड़ रुपये होगा। यह स्वास्थ्य और शिक्षा पर संयुक्त रूप से होने वाले खर्च से अधिक है। हमने कीमतों को और इसलिए नहीं बढ़ाया, क्योंकि मुझे उम्मीद है कि तेल की कीमत घटेंगी।"
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