ए. वाई. टिपणिस |
उन्होंने कहा, 'यह बात थोड़ी-बहुत मान्य है। हो सकता है कि कुछ भारतीय हिचकिचाहट में राजनीतिक मकसद से खुलकर यह बात न मानें कि पंडित नेहरू ने संघर्ष मुक्त निर्गुट दुनिया के बड़े दृष्टिकोण के साथ ग्लोबल लीडर बनने की महत्वाकांक्षा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के हित को छोड़ दिया।' रिटायर्ड एयर चीफ मार्शल टिपणिस ने कहा कि भारत की हार में नेहरू की बड़ी भूमिका थी। वायुसेना प्रमुख के तौर पर 31 दिसंबर, 1998 से तीन साल का कार्यकाल पूरा करने वाले 72 साल के टिपणिस को भारत और चीन के बीच लड़ाई से दो साल पहले 1960 में लड़ाकू पायलट के तौर पर एयरफोर्स में शामिल किया गया था।
टिपणिस ने कहा कि उन्होंने उन दिनों एक सेना प्रमुख को उसके कथित मिजाज के लिए प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा स्कूली बच्चे की तरह सताते हुए देखा था। 1962 की लड़ाई में एयरफोर्स का इस्तेमाल नहीं किए जाने के मुद्दे पर सैन्य इतिहासकारों और विशेषज्ञों के बीच अब भी बहस चल रही है और इस बात को लेकर कोई साफ धारणा नहीं है कि एयरफोर्स का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया।
कुछ ही दिन पहले वायु सेना के मौजूदा प्रमुख एयर चीफ मार्शल एनएके ब्राउन ने कहा था कि अगर एयरफोर्स का इस्तेमाल किया गया होता, तो चीन के साथ 1962 की लड़ाई का नतीजा अलग होता। ब्राउन ने कहा था कि वायु सेना को आक्रामक भूमिका क्यों नहीं निभाने दी गई और केवल सेना के ट्रांसपोर्ट हेल्प तक क्यों सीमित रखा गया। पिछले 50 सालों में पहली बार भारत ने 20 अक्टूबर को चीन के साथ 1962 की लड़ाई की बरसी मनाई। इस मौके पर रक्षा मंत्री एके एंटनी ने तीनों सेना प्रमुखों के साथ अमर जवान ज्योति पर फूलमालाएं चढ़ाकर लड़ाई में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी।
1 टिप्पणी:
आजादी के बाद का सारा किया धरा नेहरू खानदान का ही है !
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