2जी स्पेक्ट्रम नीलामी के फिसड्डी साबित होने के एक दिन बाद गुरुवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार और कांग्रेस दोनों ने नियंत्रक और महालेखापरीक्षक विनोद राय के उस दावे पर सवाल उठाया जिसमें 2008 में हुए स्पेक्ट्रम से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान की बात कही गई थी। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से बुधवार को सिर्फ 9,407 करोड़ रुपये हासिल हुआ। जो 40 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित आय से काफी कम है।
सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने राय से पूछा कि स्पेक्ट्रम नीलामी से हुई आय उनके द्वारा बताए गए अनुमानित नुकसान के करीब क्यों नहीं पहुंच पाई। तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, "श्रीमान सीएजी 1.76 लाख करोड़ रुपये कहां हैं? मेरे खयाल से यह गम्भीर आत्मविश्लेषण करने का समय है। यह वाजिब समय है कि सीएजी को अपनी प्रक्रिया पर मंथन करना चाहिए और यह वाजिब समय है जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कुछ अन्य पार्टियां सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे।"
सीएजी पर चुटकी लेते हुए कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा, "सीएजी को फिर से सोचना चाहिए कि उनका अनुमान कितना सही था।" सरकार की प्रतिक्रिया की भाजपा और वामपंथी पार्टियों ने निंदा की है। भाजपा के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने संवाददाताओं से कहा, "सरकार सीएजी जैसी संवैधानिक संस्था पर हमले करने की फिराक में रहती है, जो स्वतंत्र तरीके से काम कर रही है।"
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता नीलोत्पल बसु ने कहा, "यदि सरकार इस तरह की दलील दे, तो यह सिर्फ शैतानों का तर्क होगा। क्योंकि आपको हमेशा यह याद रखना होगा कि तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने 122 लाइसेंस 9,200 करोड़ रुपये में दे दिए थे।" उन्होंने कहा, "इस बार नीलामी के लिए रखे गए सिर्फ 22 लाइसेंस से ही उस राशि से ज्यादा हासिल हो चुके हैं, जितना तब 122 लाइसेंसों से हासिल हुआ था।" उल्लेखनीय है कि सीएजी के मुताबिक पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा द्वारा 2001 की कीमत पर 2010 में स्पेक्ट्रम आवंटन का फैसला लेने के कारण सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ।
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