आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार को बाहर से समर्थन दे रही मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) ने समर्थन न देने का फैसला लेकर मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी की पेशानी पर बल ला दिया है। सरकार पर्याप्त बहुमत के लिए पहले से ही तरस रही है। 294 सदस्यीय आंध्र विधानसभा में सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों की संख्या 155 थी, लेकिन तीन विधायकों ने बाद में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया। अब कांग्रेस के विधायकों की संख्या 152 रह गई है जो सामान्य बहुमत के लिए वांछित संख्या 148 से मात्र चार अधिक है।
कुछ और विधायकों के वाईएसआर कांग्रेस में जाने की संभावना है। यदि विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं और असंतुष्ट विधायक क्रॉस वोटिंग करते हैं तो सरकार गहरी मुसीबत में फंस सकती है। मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के 86 विधायक हैं, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति के 17-17, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के चार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और लोकसत्ता के एक-एक तथा अन्य की संख्या छह है। कांग्रेस की ओर से सोमवार को जारी बयान में कहा गया है कि सरकार पर फिलहाल कोई संकट नहीं है।
आवैसी ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को फैक्स भेजकर उन्हें पार्टी के फैसले से अवगत कराया और उनसे मिलने का समय मांगा। वह व्यक्तिगत रूप से मिलकर उन्हें बताना चाहते हैं कि पार्टी ने किन परिस्थितियों में यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा, "जगनमोहन रेड्डी मेरे मित्र हैं, किरण कुमार रेड्डी मित्र थे।" उनकी इस टिप्पणी से यह संकेत मिल रहा है कि ओवैसी की पार्टी जगन की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकती है। इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसका जवाब वह चुनाव के समय देंगे।
गौरतलब है कि 295 सदस्यीय विधानसभा में एमआईएम के सात विधायक हैं। पर्याप्त बहुमत नहीं होने के कारण कांग्रेस सरकार के लिए एमआईएम का समर्थन महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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