सौहार्द की मिसाल है बिहार का छठ पर्व - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 18 नवंबर 2012

सौहार्द की मिसाल है बिहार का छठ पर्व


सूर्य उपासना का महापर्व छठ न केवल लोक आस्था का पर्व है बल्कि यह हिंदुओं और मुस्लिमों के सौहार्द की मिसाल भी कायम करता है। बिहार में छठ पर्व के लिए जिन चूल्हों पर छठव्रती प्रसाद बनाती हैं वह मुस्लिम परिवारों द्वारा ही निर्मित किया जाता है जबकि कई जिलों में मुस्लिम महिलाएं पूरी आस्था के साथ यह पर्व करती भी हैं। पटना के कई मुहल्लों की मुस्लिम महिलाएं छठ पर्व के एक पखवाड़े पूर्व से ही छठ के लिए चूल्हा तैयार करने में जुट जाती हैं। चूल्हों के लिए मिट्टी गंगा तट से लाया जाता है, उसके बाद उस मिट्टी से कंकड़-पत्थर निकाल कर मिट्टी में भूसा और पानी डालकर सूखी मिट्टी में मिलाया जाता है और उसके बाद चूल्हे का निर्माण होता है।

पटना के आर ब्लॉक मुहल्ले की रहने वाली रुखसाना बेगम कहती हैं कि चूल्हे के बनाने के दौरान पूरी सावधानी बरती जाती है। जहां साफ-सफाई का ख्याल रखा जाता है वहीं इसे पूरी तरह पाक रखा जाता है। वह कहती हैं कि यह पर्व पूरी तरह श्रद्धा और विश्वास का पर्व है, जिसमें सफाई और शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाता है। दरोग राय पथ की महिला नसीमा खातून कहती हैं कि चूल्हे बनाने में जितना मेहनत होती है, उस हिसाब के मुताबिक उनकी कमाई नहीं होती परंतु उनकी श्रद्धा इससे जुड़ी हुई है जिस कारण प्रतिवर्ष वह चूल्हे बनाती हैं। वह बताती हैं कि चूल्हे के लिए मिट्टी खोजना और उसे सुखाने में काफी परिश्रम होता है। चूल्हों को सुखाने के दौरान परिवार का कोई न कोई सदस्य चूल्हे के पास बैठकर निगरानी करते हैं ताकि कोई चूल्हा अशुद्ध न हो जाए। नसीमा का कहना है कि चूल्हा बनाने के बाद उनके दिल को सुकून मिलता है। 

गौरतलब है कि इसी चूल्हे पर छठव्रती अघ्र्य के लिए प्रसाद तैयार करती हैं और खरना के दिन खीर, रोटी भी इस चूल्हे पर बनाया जाता है। ऐसा नहीं कि बिहार में केवल हिंदू महिलाएं ही इस पर्व को करती हैं। पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर जिले के कई ऐसे गांव हैं जहां की मुस्लिम महिलाएं भी पूरे धार्मिक रीति-रिवाज से यह अनुष्ठान करती हैं। पटना के जमलकी गांव की हसनजादो बेगम पिछले नौ वर्षो से छठ पर्व करती आ रही हैं। वे हालांकि कहती हैं कि उनका शरीर अब इस पर्व को करने की इजाजत नहीं देता परंतु छठ आते ही पर्व करने की चाहत उन्हें पर्व करने को विवश कर देती है। 

वह कहती हैं कि जब तक छठी मइया चाहेंगी तब तक वह छठ करती रहेंगी। वह बताती हैं कि गांव की ही एक वृद्ध महिला की सलाह पर वह छठ पर्व करना प्रारंभ की थी और तभी से उनके घर में शुभ हो रहा है। वह कहती हैं कि इस गांव की कई मुस्लिम महिलाएं भी छठ पर्व विधि पूर्वक करती हैं। यही हाल वैशाली जिले के विदुपुर प्रखंड के कई गांवों में भी है। यहां कई गांव ऐसे हैं जहां मुस्लिम परिवार के लोग छठ में न केवल बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं बल्कि उस घर की महिलाएं छठ पर्व भी करती हैं। इनके परिजनों का कहना है कि छठ पर्व की महिमा अपरंपार है और भगवान किसी एक धर्म का नहीं होता। इन महिलाओं का कहना है कि पर्व करने में हिंदू महिलाएं भी उनका साथ देती हैं।

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