कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी आगामी लोकसभा चुनाव में यहां सम्मानजनक जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं, इसिलए उन्होंने अपनी पुत्री प्रियंका वाड्रा को अभी से रायबरेली और अमेठी में संगठन मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंप दी है। पिछले लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में तकरीबन दो लाख और राहुल गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी में करीब पौने दो लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। लेकिन मौजूदा हालात में देश और प्रदेश के दूसरे हिस्सों की तरह रायबरेली और अमेठी के लोगों में भी कांग्रेस को लेकर आक्रोश व्याप्त है।
पार्टी कार्यकर्ता अलग से संगठन में गुटबाजी और बड़े नेताओं की उपेक्षा को लेकर रोष में हैं। ऐसे में राहुल सोनिया को लग रहा है कि अगर जमीनी स्तर पर समय से संगठन को मजबूत न किया गया तो अपने ही गढ़ में भी उन्हें बड़े अंतर जीत के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। रायबरेली और अमेठी में संगठन को दुरुस्त करने का जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेने वाली प्रियंका अब लोकसभा चुनाव तक लगभग हर महीने यहां का दौरा करेंगी।
पिछले सप्ताह दो दिवसीय रायबरेली दौरे पर आई प्रियंका वाड्रा ने रायबरेली और अमेठी के ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ताओं से अलग-अलग बैठक करके उनसे ये समाने की कोशिश की आखिर बीते विधानसभा चुनाव में कहां पर गड़बड़ी हुई। कार्यकर्ताओं ने बड़े नेताओं पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि वे अपनी शिकायत लेकर आखिर कहां जाएं? इस पर प्रियंका ने खंडवार अपना एक प्रतिनिधि नियुक्त करने की बात कही। ये प्रतिनिधि दिल्ली के होंगे जो गांव-गांव जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं की समस्याएं सुनकर उन्हें (प्रियंका) को रिपोर्ट करेंगे।
रायबरेली के सरेनी ब्लॉक के कांग्रेसी नेता सतीश कुमार के अनुसार प्रियंका जी ने हमसे कहा कि पार्टी कार्यकर्ता उनसे सीधे भी मिल सकेंगे। उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं को परिचयपत्र देने को कहा है। ये परिचयपत्र उनसे सीधे मिलने के लिए काफी होगा। प्रियंका जानती हैं कि अगर जमीनी स्तर के कार्यकर्ता जब तक सक्रिय नहीं होंगे, संगठन मजबूत होना संभव नहीं है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया कि सबको सम्मान मिलेगा। संगठन में न कोई छोटा है न बड़ा। सभी संगठन के सारथी हैं।
रायबरेली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता निर्मल शुक्ला ने कहा कि प्रियंका जी जल्द बूथ और ब्लॉक स्तर के संगठन को नए सिरे से तैयार करने वाली हैं। वह संगठन में सक्रिय रहने वाले कार्यकर्ताओं को ही तवज्जो देंगी। प्रियंका ने हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान करीब एक सप्ताह तक रायबरेली और अमेठी में प्रचार और प्रबंधन का जिम्मा संभाला था लेकिन रायबरेली में कांग्रेस सभी पांच सीटों पर बुरी तरह से पराजित हो गई और अमेठी की पांच में से केवल दो सीटों पर ही उसे जीत नसीब हो पाई।
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