ज्योतिष के प्रति जगाएँ प्रामाणिकता... - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 15 नवंबर 2012

ज्योतिष के प्रति जगाएँ प्रामाणिकता...


आम आदमी के सरोकार निभाएँ !!


ज्योतिष अपने आप में संपूर्ण विज्ञान है जिसका पार कोई नहीं पा सकता। कोई अपने आपको पूर्ण ज्योतिषी या ज्योतिर्विद अथवा त्रिकालज्ञ मान बैठे तो यह विशुद्ध रूप से उसका वह भ्रम ही है जो उसके साथ जिन्दगी भर रहने वाला है। ज्योतिष अपने आप में अखूट पसरा हुआ वह विषय है जिसके सभी अंगों का ज्ञान मनुष्य एक जीवन में कभी पूर्ण नहीं पा सकता। वह जमाना अलग था जिसमें एक व्यक्ति की आयु सैकड़ों-हजारों वर्ष हुआ करती थी और ऎसे में किसी एक विद्या का ज्ञान पाना कठिन अवश्य था लेकिन असंभव नहीं। ज्योतिष विधा भूत, भविष्य और वर्तमान का दिग्दर्शन कराने वाली वह विधा है जिसके कई अंग हैं और इनके माध्यम से किसी के भी बारे में कुछ भी बताया जा सकता है। लेकिन आजकल ज्योतिष का अधकचरा ज्ञान, साधना और शुचिता में कमी तथा पैसे कमाने मात्र का ध्येय बन जाने की वजह से ज्योतिषियों और ज्योतिष दोनों की प्रामाणिकता समाप्त होती जा रही है। ज्योतिषियों में सच कहने का साहस नहीं है और कितने ही ज्योतिषी ऎसे हैं जिन्हें मुद्रा या और कोई प्रलोभन देकर कुछ भी हेरफेर करवाया जा सकता है। ज्योतिष अपने आप में सटीक ज्ञान है लेकिन कुछ सिद्धान्ती ज्योतिषियों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश सामने वाले को खुश कर देने की कला में माहिर हैं और ऎसे में कई बार सत्य को दबा देते हैं अथवा सत्य का रूपान्तरण कर देते हैं। ऎसा वे इसलिए करते हैं क्योंकि उनका उद्देश्य ज्योतिष के माध्यम से जनसेवा की बजाय धनसंग्रह, विलासिता अथवा यश प्राप्ति हो गया है। और यही कारण है कि ज्योतिष के प्रति आम लोगों की धारणाएं विखण्डित होती जा रही हैं और ज्योतिषियों को भी उस जमात में गिना जाने लगा है जो पैसों के लिए कुछ भी कर सकती हैं। दूसरी किस्म उन लोेगों की है जिन्हें लगता है कि लोगों को भरमाने का यह सबसे बढ़िया जरिया है और इससे प्रतिष्ठा और पैसा दोनों प्राप्त होने लगते हैं और जोखिम किसी बात का नहीं। काम हो जाए तो ठीक है वरना सामने वाला क्या बिगाड़ लेगा। वो नहीं तो उसकी जगह दूसरे आएंगे और इस तरह इनकी तो पूरी जिन्दगी ऎसे ही चल निकलने वाली है।

यों भी आजकल सभी प्रचार माध्यमों में जिन विषयों पर सर्वाधिक चर्चा होने लगी है वे हैं ज्योतिष और तंत्र-मंत्र। ज्योतिषियों की हर जगह भरमार होने के बावजूूद गणित और फलित में विरोधाभास पाया जाता है और जातक को ज्योतिष का कोई सटीक फायदा नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से ज्योतिष और ज्योतिषियों के प्रति आम लोगों की धारणा ऎसी होती जा रही है कि ज्योतिष के नाम पर अधिकांश स्थानों पर ठगी और पैसे निकलवाने का काम ही हो रहा है। ज्योतिष के प्रति इस प्रकार की धारणा का आधार खुद ज्योतिषी ही हो गए हैं क्योंकि देश भर में ज्योतिषियों की इन दिनों बाढ़ आयी हुई है और इन सभी दैवज्ञों और त्रिकालज्ञों को समझना होगा कि आखिर ज्योतिष के प्रति आम जनमानस में यह धारणा क्यों बनती जा रही है। आज देश में कौनसा ऎसा ज्योतिषी है जो देश या देश की घटनाओं के बारे में सही-सही और सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम है। हालात ये हैं कि ज्योतिष के नाम पर ऎसे दोहरे-तिहरे अर्थों वाली बातें कह दी जाती हैं जो लगे तो तीर नहीं तो तुक्का। इस बात की खुशी हमें हो सकती है कि आजकल कई प्रचार माध्यमों पर बड़े पैमाने पर अच्छे-अच्छे ज्योतिर्विद ज्योतिष की सेवा के लिए अनथक समर्पित प्रयास कर रहे हैं लेकिन इस प्रकार के ज्योतिषियों की संख्या उंगलियों पर गिनने लायक ही है। ऎसे में ज्योतिष के प्रति वर्तमान हालातों को देखते हुए खुद ज्योतिषियों को आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि आखिर जनमानस का विश्वास क्यों टूटता जा रहा है। आज ज्यादातर ज्योतिषी जातक को कभी कालसर्प, कभी पितर दोष तो कभी ग्रहों और नक्षत्रों का दोष बताकर भयभीत करते हुए अपना धंधा चला रहे हैं। ये तो उन डॉक्टरों जैसा काम है जो मामूली सर्जरी को बड़ी बताकर पैंसा ऎंठ रहे हैं। कोई जरूरी थोड़े ही है कि जातक को वे उपाय ही बताए जाएं जिनमें पैसा खर्च होता है।

कई जातक गरीब और विपन्न होते हैं, उनके लिए ज्योतिष की क्या उपादेयता है यदि हम वो ही उपाय बताएं जिनमें पैसे खर्च होते हैं। जो समृद्ध हैं, बेईमान और भ्रष्ट-लुटेरे हैं, उनकी जेब से चाहे किसी भी नाम पर पैसा निकलवा लो, इसे जायज माना जा सकता है लेकिन समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है जो अपनी समस्याओं और पीड़ाओं का निवारण चाहता है और उन्हें ऎसे उपाय बताने की जरूरत है जिनमें पैसे का कोई महत्त्व न हो। रत्न, अंगूठियां और दूसरे-तीसरे गण्डे ताबीजों या यंत्रों को छोड़ भी दिया जाए तो कई उपाय हमारे शास्त्रों में वर्णित हैं जिनसे जातक के कष्टों और समस्याओं का बिना कुछ पैसा खर्च किए खात्मा किया जा सकता है। ज्योतिष के क्षेत्र में आजकल कर्मठ, सिद्ध और संवेदनशील ज्योतिषी बहुत कम हैं। ऎसे में ज्योतिष से जुड़े विद्वानों को चाहिए कि ज्योतिष के बड़े-बड़े आयोजनों में ज्योतिष से आम आदमी के भले की बात कहें और आम आदमी के उपायों पर चर्चा की जाए ताकि ज्योतिष के प्रति यह धारणा भी समाप्त जो जाए कि ज्योतिष खर्च साध्य होता जा रहा है। फिर जो लोग ज्योतिषी होने के साथ ही कर्मकाण्डी हैं उन्हें भी सोचना चाहिए कि कर्मकाण्ड को धंधा न बनाएं। ये लोग अपने कर्मकाण्ड के ध्ांधे को चलाये रखने के लिए हर जातक को किसी न किसी ग्रह की शांति के लिए पूजा-पाठ बता देते हैं और यह खर्च साध्य होता है। जबकि परेशानी से घिरे लोगों को खुद करने लायक मंत्र, स्तोत्र आदि बता दिए जाने चाहिएं ताकि वे इसका लाभ ले सकें। यों भी व्यक्ति खुद जो कुछ करता है उसका फायदा उसे जल्दी मिलता है लेकिन धर्म के नाम पर धंधा चलाने वाले लोग इस बात को जानबूझकर छिपाते रहते हैं, जो न धर्म के लिए ठीक है न समाज के लिए।

भारतीय संस्कृति और संस्कारों में पले-बढ़े लोगों को भारतीय ज्योतिष और परंपराओं पर पूरा भरोसा है और वे इनके उत्थान के लिए हरसंभव मददगार भी सिद्ध होते हैं। लेकिन आज के हालातों को देखकर इन लोगों को भी ज्योतिष क्षेत्र की सम सामयिक स्थितियों पर पीड़ा होती है वरना आज कई सारे क्षेत्र हैं जिन पर चिंता होनी चाहिए। हालांकि आजकल लोग धूत्र्त और पैसा कमाऊ ज्योतिषियों के खिलाफ कहीं-कहीं मुखर भी होने लगे हैं।  ज्योतिष के बारे में कोई भी व्यक्ति कुछ भी टिप्पणी करता है, उसका सीधा सा अर्थ यह तो है ही उसे ज्योतिष से कहीं न कहीं कोई संबंध है ही। ऎसे में सभी प्रकार के विचारों का स्वागत होना चाहिए क्योंकि इसी से मंथन हो पाता है और कोई न कोई परिणाम सामने आएगा। यह निश्चित तौर पर ज्योतिष के बारे में सहयोगी ही होगा। आजकल ज्योतिष, तंत्र-मंत्र और यंत्र तथा प्राच्यविद्याओं के बारे में प्रामाणिक जानकारी पाने में अड़चनें आती हैं इसलिए विभिन्न माध्यमों पर इनकी किसी भी प्रकार की जानकारी पाने के लिए जिज्ञासु उत्सुक रहते हैं। इन सभी जिज्ञासुओं को ठोस, शास्त्रीय और तथ्यात्मक जानकारी दी जानी चाहिए। ज्योतिष को व्यवसाय की बजाय सेवा का स्वरूप दिया जाकर जनता का ज्यादा विश्वास अर्जित किया जाना चाहिए। हरेक ज्योतिषी को साफ मानना चाहिए कि यह दैव विद्या है और इसे धनार्जन का मूल स्रोत नहीं माना जाना चाहिए। जो ज्योतिषी धन कमाने के उद्देश्य से ज्योतिष कर्म कर रहे हैं उनका गणित भले ही कितना अच्छा हो, फलित और भविष्यवाणी करने में वे गच्चा खा ही जाते हैं या यों कहें कि कमजोर साबित होते हैं क्योंकि सही और सटीक भविष्यवाणी वही कर सकता है जिसका चित्त पूर्ण शुद्ध हो, जीवन के प्रत्येक कर्म में शुचिता व सादगी हो।

ईश्वरीय कृपा उन्हीं लोगों पर होती है जो मन-तन और धन तथा व्यवहार से परिशुद्ध हों। और ऎसे शुद्ध चित्त वाले ज्योतिषी ही त्रिकालज्ञ और दैवज्ञ हो सकते हैं, धंधेबाज ज्योतिषी कभी नहीं। सिर्फ पैसा बनाने के मकसद से जो लोग ज्योतिषी बन गए हैं वे समाज और राष्ट्र दोनों के लिए घातक हैं और ऎसे लोगों की वजह से ही ज्योतिष आज प्रामाणिकता खोती जा रही है। ज्योतिषियों को चाहिए कि वे आम आदमी के सरोकारों को समझें, उनके प्रति संवेदनशील रहें और अपने पास आने वाले विपन्न जातकों को ऎसे सरल उपाय बताएं जिनसे उनके काम हो सकें। इसके साथ ही प्रामाणिकता लाने के लिए निरन्तर प्रयास करें।


---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077

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