संसद का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर से शुरू होने जा रहा है जो 20 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र में विधायी कार्यो के सुचारु ढंग से निष्पादन की संभावना जताई गई है। कई विपक्षी दलों का जोर हंगामे के बजाय जनहित के मुद्दों पर बहस कराने और मत विभाजन है। पिछला सत्र हालांकि कोयला आवंटन घोटाले की भेंट चढ़ गया था। यह 15वीं लोकसभा का 12वां सत्र और राज्यसभा का 227वां सत्र होगा। सत्र 29 दिन चलेगा और इस दौरान 20 बैठकें होंगी।
आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, सत्र के दौरान जरूरी विधायी कार्य किए जाएंगे, जिनमें वित्तीय विधायी कार्य, पूरक मांगें और वर्ष 2012-13 के लिए आम बजट के अनुदान तथा कई विधेयकों को पारित कराना शामिल है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने शीतकालीन सत्र के विधायी कार्यो को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के सचिवों तथा वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 16 नवंबर को एक बैठक की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार सत्र के दौरान विधायी कार्यो पर राजनीतिक सहमति बनाने का प्रयास करेगी।
इस बीच तृणमूल कांग्रेस ने खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का विरोध करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मुहिम में जुट गई है। तृणमूल के पास हालांकि प्रस्ताव पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है, लेकिन पार्टी की मंशा है कि समूचा विपक्ष एकजुट होकर उसके प्रस्ताव का समर्थन करे। तृणमूल ने यह विकल्प भी दिया है कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) या कोई अन्य दल प्रस्ताव लाए, जिसके पास संख्या बल है। तृणमूल उस प्रस्ताव का समर्थन करेगी। माकपा की योजना मत विभाजन के जरिये सरकार को घेरने की है। मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मुद्दे पर अभी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें