सविता हलप्पनावर |
भारतीय महिला सविता की मौत के बाद आयरलैंड में अबॉर्शन को लेकर छिड़ी बहस के बीच पहली बार वहां के कैथलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस की ओर से इस मसले पर कुछ बोला गया है। कॉन्फ्रेंस की स्टैंडिंग कमिटी ने सोमवार रात कहा कि चर्च ने कभी यह नहीं सिखाया कि गर्भ में मौजूद बच्चे की जिंदगी को गर्भवती मां की जिंदगी से ज्यादा तरजीह दी जाए। सविता हलप्पनवार की मौत पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, 'यह सविता के पति और परिवार के लिए दर्दनाक हादसा है। इसने हमारे देश को भी हिला दिया है। सविता और उनके अजन्मे बच्चे की मौत पर हो रही बहस के मद्देनजर कमिटी कैथलिक नैतिक शिक्षाओं को दोहराना चाहती है।' बिशप्स ने कहा कि मां और उसके अजन्मे बच्चे दोनों को ही जीने का बराबर अधिकार है।
आयरिश टाइम्स के मुताबिक, उन्होंने कहा कि अबॉर्शन अजन्मे बच्चे की सोच-समझकर की गई सीधी हत्या है और हर परिस्थिति में इसे अनैतिक माना जाएगा। पर यह मेडिकल ट्रीटमेंट से अलग है क्योंकि वहां अजन्मे बच्चे की जान-बूझकर हत्या नहीं की जाती। आयरलैंड के मौजूदा कानून और मेडिकल गाइडलाइंस देश की नर्सों और डॉक्टरों को अबॉर्शन की इजाजत देते हैं। अगर गंभीर रूप से बीमार प्रेगनेंट महिला को ऐसे इलाज की जरूरत है, जिससे उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान हो सकता है तो नैतिक तौर पर ऐसे इलाज की इजाजत है। पर यह तभी हो, जब मां और बच्चे की जान बचाने की हर मुमकिन कोशिश की जा चुकी हो। गौरतलब है कि 31 साल की सविता ने पिछले महीने आयरलैंड के एक अस्पताल में तब दम तोड़ दिया, जब डॉक्टरों ने उनके मिसकैरेज के बावजूद अबॉर्शन से इनकार कर दिया।
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