कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी को 2014 चुनाव की कमान सौंपे जाने और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के लोकसभा उम्मीदवारों की पहली सूची के ऐलान से दिल्ली की सियासत में हलचल है। राजनीति के इन ताजा घटनाक्रमों ने मध्यावधि चुनाव की आशंका को फिर से बढ़ा दिया है। कांग्रेस आधिकारिक रूप से यही कह रही है कि देश में चुनाव तय समय पर होंगे और यूपीए सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी, लेकिन सत्ताधारी पार्टी ने भी जमीनी तैयारी शुरू कर दी है।
राहुल को चुनाव समन्वय समिति का प्रमुख बनाने का असर तैयारियों पर दिखाई पड़े, इसके लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस आलाकमान ने चार दर्जन पर्यवेक्षकों को राज्यों का सियासी तापमान नापने के काम में लगा दिया है। मार्च तक पर्यवेक्षक सभी राज्यों की रिपोर्ट दे देंगे और उसी समय उम्मीद है कि कांग्रेस की पहली लिस्ट आ जाएगी। राजनीति पर बारीक नजर रखने वालों का मानना है कि सरकार के खाद्य सुरक्षा गारंटी विधेयक, रीटेल में एफडीआई आदि फैसलों के अमलीजामा पहनाने के बाद समय से पहले चुनाव की घोषणा हो सकती है।
कांग्रेस के कुछ नेता चुनाव को लेकर कोई भी भविष्यवाणी करने से इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि तुरंत तो नहीं, लेकिन 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मंशा के मुताबिक लोकलुभावन बजट पेश करने और उस पर अमल शुरू करने के बाद कुछ भी हो सकता है। तय कार्यक्रम के मुताबिक सभी राज्यों से मार्च तक सियासी हालात, समीकरण, कमजोरियां और मजबूती का पूरा ब्योरा राहुल के सामने होगा। इस रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद चुनाव को लेकर फैसला होने की उम्मीद है।
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