पंच तत्व में समाते बाला साहब |
लाखों लोगों ने यहां के शिवाजी पार्क में अपने प्रिय नेता एवं शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के अंतिम दर्शन किए और उन्हें श्रद्धांजलि दी। ठाकरे की अंत्येष्टि पूरे राजकीय सम्मान के साथ की गई। बेटे उद्धव ठाकरे ने शाम 6.17 बजे अपने पिता को मुखाग्नि दी। ठाकरे की चिता को अग्नि को समर्पित किए जाते समय उद्धव के चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने उन्हें सहारा दिया। अपने पिता को मुखाग्नि देते समय उद्धव करुणा और गरिमा का प्रतीक नजर आ रहे थे। इससे पहले अंत्येष्टि प्रक्रिया शुरू होते ही वह फूट-फूट कर रो पड़े। वैदिक मंत्रों के बीच अंत्येष्टि शुरू होते समय शोक की इस घड़ी में उद्धव ने राज का हाथ थाम लिया, जैसे वह पिता की इच्छा पूरी कर रहे हों, जो उन्होंने कुछ महीने पहले व्यक्त की थी।
ठाकरे की चिता को अग्नि को समर्पित किए जाने से कुछ ही मिनट पहले राज भी रो पड़े। आंसू उनके गालों पर टपक रहे थे। जिस तरह ठाकरे की अंत्येष्टि सार्वजनिक रूप से की गई, ऐसा मुम्बई में पहली बार देखा गया। बंदूकों की सलामी सहित उनकी अंत्येष्टि पूरे राजकीय सम्मान के साथ की गई। मध्य मुम्बई के दादर स्थित शिवाजी पार्क में जनसैलाब उमड़ पड़ा। ठाकरे की कोठी मातोश्री से जब अंतिम यात्रा शुरू हुई तो लग रहा था, सभी सड़कें शिवाजी पार्क की ओर जा रही हैं। सड़कों पर हजारों लोग ठाकरे के पार्थिव शरीर के साथ चल रहे थे। मातोश्री से शिवाजी पार्क तक सात किलोमीटर की अंतिम यात्रा सात घंटे में पूरी हुई।
अंत्येष्टि के समय ठाकरे के व्यक्तिगत चिकित्सक जलील पारकर भी मौजूद थे। इस मुस्लिम डॉक्टर को इस अवसर पर आमंत्रित कर हिंदूवादी ठाकरे परिवार ने उन्हें अनूठा सम्मान दिया। पारकर पिछले चार साल से ठाकरे परिवार को व्यक्तिगत चिकित्सक के रूप में सेवा देते रहे हैं। ठाकरे के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने के लिए हिंदी और मराठी फिल्म जगत की हस्तियों और राजनेताओं सहित कई अति विशिष्ट व्यक्ति तथा व्यापारी एवं उद्योगपति शिवाजी पार्क पहुंचे। 'टाइगर' के नाम से चर्चित शिवसेना प्रमुख को क्षत्रीय एवं राष्ट्रीय दलों के वरिष्ठ नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।
बाल ठाकरे के निधन के बाद शनिवार से लेकर रविवार तक समूचे मुम्बई में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई। मुम्बई पुलिस के अनुमान के मुताबिक शिवाजी पार्क में जुटे लोगों सहित 19 लाख से अधिक लोगों ने ठाकरे को श्रद्धांजलि दी। उनकी अंतिम यात्रा में लगभग दो लाख लोग शामिल हुए।
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