सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया। याचिका में सभी कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द करने तथा कथित घोटाले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की गई है। जनहित याचिका में कहा गया है कि आवंटन मनमाने तरीके से किए जाने के कारण कथित रूप से राजकोष को भारी नुकसान हुआ है, इसलिए इस घोटाले की जांच एसआईटी से कराने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा एवं न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे की खंडपीठ ने गैर सरकारी संगठन कॉमन काउज तथा पूर्व कैबिनेट सचिव टी.एस.आर. सुब्रह्मण्यम, पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एन. गोपालास्वामी सहित अन्य जानेमाने लोगों द्वारा दायर एक संयुक्त जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।
जांच एसआईटी से कराने की मांग करते हुए कॉन काउज तथा अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि जांच सीबीआई से कराना बहुत उपयुक्त नहीं होगा क्योंकि कोयला घोटाले में संलिप्त लोगों में या तो मंत्री हैं या उनकी जान-पहचान के लोग या रिश्तेदार हैं और ये सभी जांच को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीबीआई अपनी जांच को कुछ ऐसी कम्पनियों द्वारा तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए तथ्यों पर ध्यान केंद्रित कर रही है जो कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए योग्य नहीं थीं। एजेंसी अपना ध्यान अनियमितिताओंपर केंद्रित नहीं कर रही है जो आवंटन प्रक्रिया में बरती गईं।
महान्यायवादी जी.ई. वाहनवती ने अदालत से कहा कि केंद्र सरकार दो अलग-अलग जवाब दाखल करेगी- पहला जवाब अधिवक्ता एम.एल. शर्मा द्वारा पूर्व में दायर की गई याचिका के संदर्भ में और दूसरा कॉमन काउज की याचिका के संदर्भ में। अदालत ने कॉमन काउज की याचिका को एम.एल. शर्मा द्वारा दायर याचिका के साथ संलग्न किया और सुनवाई की अगली तारीख 24 जनवरी, 2013 तक कर दी।
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