देश के पूर्व रक्षा मंत्री एवं योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष कृष्ण चंद्र पंत का यहां गुरुवार को हृदयाघात से निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने गहरा शोक प्रकट किया है। दिवंगत नेता के परिवार के करीबी सूत्रों ने यहां बताया कि गुरुवार सुबह हृदयाघात के कारण पंत का निधन हो गया। पंत के परिवार में उनकी पत्नी एवं पूर्व सांसद इला पंत तथा दो बेटे रंजन व सुनील हैं।
पंत के निधन का समाचार सुनने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं रक्षा मंत्री एंटनी ने शोक प्रकट किया। के.सी. पंत 1987 से 1989 के बीच देश के रक्षा मंत्री थे। उस समय कांग्रेस सत्ता में थी और राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। पंत उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं देश के गृह मंत्री रहे गोविंद बल्लभ पंत के बेटे थे। उनका जन्म उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) के नैनीताल में 1931 को हुआ था। उन्होंने वहां के सेंट जोसफ कॉलेज में पढ़ाई की थी। बाद में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से मास्टर की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह एक सदस्य के रूप में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।
वह 1962 में 31 वर्ष की उम्र में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद 1967, 1971 और 1989 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें जीत हासिल हुई थी। 1978 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए थे। 1979 से 80 तक वह सदन के नेता भी रहे। के.सी. पंत 26 वर्षो तक संसद के दोनों सदनों के बारी-बारी से सदस्य रहे। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार में रक्षा, वित्त, इस्पात एवं भारी इंजीनियरिंग, गृह, इलेक्ट्रॉनिक्स, परमाणु ऊर्जा तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री का दायित्व भी संभाला।
पंत ऊर्जा संबंधी सलाहकार बोर्ड के प्रथम अध्यक्ष भी बने। 1998 में उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया। जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सत्ता में आया, तब पंत राजग की घटक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। वर्ष 2000 में वाजपेयी ने उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। वह 2004 तक इस पद पर रहे। उनकी पत्नी इला पंत भाजपा के टिकट पर नैनीताल से 1998 में 12वीं लोकसभा की सदस्य निर्वाचित हुई थीं।
इला पंत को भेजे अपने शोक संदेश में प्रधानमंत्री ने के.सी. पंत को देश के लिए समर्पित नेता तथा लोगों के बीच विशिष्ट पहचान रखने वाले व्यक्ति बताया और कहा कि उनके चले जाने से "देश ने एक जानामाने सार्वजनिक चेहरे और सक्षम प्रशासक को खो दिया है।" रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने भी उनके निधन पर गहरा दुख व्यत करते हुए कहा कि पंत ने उन विषम परिस्थतियों में रक्षा मंत्रालय को संभाला था जब भारतीय सैन्य बल अपने शांति मिशन को लेकर आतंकवाद ग्रस्त श्रीलंका में तैनात थे।
गुरुवार को एंटनी ने अपने शोक संदेश में कहा, "पंत के योगदान को देश के लोग अनुराग सहित याद रखेंगे। पंत ने सर्वाधिक विषम परिस्थितियों में मंत्रालय का दायित्व संभाला था जब भारतीय शांति सेना श्रीलंका में तैनात थी। हमारी सेना ने जटिल यात्रा कर द्वीप राष्ट्र में शांति बहाली की ओर कदम बढ़ाया था।" उन्होंने याद किया, "पंत के रक्षा मंत्री रहते भारतीय सेना को तख्ता पलट के प्रयास को नाकाम करने के लिए आए बुलावे पर तुरंत मालदीव में तैनात किया गया था। दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया गया था।"
एंटनी ने यह भी रेखांकित किया कि पंत ने आईएनएस विराट जैसे नौसैकि जहाज तथा मिग-29 जैसे लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी देकर सेना को मजबूत किया था। उनके रक्षा मंत्री रहते कई अन्य रक्षा उपकरणों की खरीद सेना के लिए की गई थी। उन्होंने कहा कि पंत ने दमन में पहले तटरक्षक वायुसेना स्टेशन की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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