बिहार में इस वर्ष नवंबर माह तक 17 अभियुक्तों को फांसी और 1328 को आजीवन कारावास सहित 9558 अभियुक्तों को सजा सुनायी गई. पुलिस महानिदेशक अभयानंद ने बताया कि विभिन्न त्वरित अदालतों ने वर्ष 2012 के नवंबर महीने तक जिन 9558 अभियुक्तों को सजा सुनायीं गयी उनमें से 17 को फांसी और 1328 को आजीवन कारावास की सजा दी गई. उन्होंने बताया कि इनमें में भादवि की विभिन्न धाराओं के तहत सजा पाने वाले कुल 8965 और शस्त्र कानून के तहत सजा पाने वाले कुल 593 अपराधी शामिल हैं.
अभयानंद ने बताया कि भादवि की विभिन्न धाराओं के तहत कुल 4197 और शस्त्र कानून के कुल 383 मामलों में सजा पाने वाले इन अभियुक्तों में फांसी और उम्रकैद की सजा पाने वालों के अलावा 336 दस वर्ष से अधिक, 1837 दस वर्ष से कम और 6040 दो साल से कम सजा पाने वाले शामिल हैं. बिहार सरकार से प्रदेश में अपराध पर काबू पाने की मुहिम के तहत आपराधिक मामलों के निष्पादन के लिये वर्ष 2006 से शुरु की गयी त्वरित सुनवाई के अंतर्गत अब तक 27 को फांसी और 2141 को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी. उन्होंने बताया कि सजा सुनाये जाने के मामले में इस वर्ष प्रदेश की राजधानी पटना सबसे आगे रही जहां नवंबर तक 863 लोगों को विभिन्न मामलों में सजा सुनायी गयी जबकि 766 अभियुक्तों को सजा सुनाकर बांका जिला दूसरे स्थान पर रहा.
बिहार में इस वर्ष सजा सुनाने के मामले में तीसरे स्थान पर बेगूसराय रहा जहां 542 अपराधियों को सजा सुनायी गयी जबकि सीतामढ़ी 480 लोगों को सजा सुनाकर चौथे स्थान पर रहा. बिहार की नीतीश सरकार से राज्य में वर्ष 2006 से शुरु किए गये आपराधिक मामलों के त्वरित निष्पादन के तहत अबतक 77676 अपराधियों को
पुलिस महानिदेशक अभयानंद ने बताया कि त्वरित न्यायालय से अपराधियों को सजा दिलाने के बाद प्रदेश सरकार ने अब अपील की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की है, जिसके तहत अपीलीय मामलों पर नजर रखी जा रही है. उल्लेखनीय है कि अपराधियों को सजा दिलाने के बाद अपीलीय चुनौतियों का सामना करने के लिए एक कार्ययोजना बनाने के लिए राज्य के गृह विभाग से इसी वर्ष 11 अप्रैल को पटना में एक दिवसीय गोष्ठी और कार्यशाला का आयोजन किया गया था.
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने त्वरित न्यायालय से अपराधियों को सजा दिलाने के बाद अपील की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक कार्ययोजना बनाये जाने का निर्देश देते हुए कहा था कि न्यायालयों से सजा मिलने पर अपराधियों द्वारा अपील करने पर उन्हें जमानत
मिल जाती है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में सुशासन और कानून का राज स्थापित रहे इसके लिए जरूरी है कि अपराधी के मन में भय बना रहे इसलिए अपीलीय वादों का निस्तारण भी त्वरित गति से हो और वे किसी भी कीमत पर छूटने नहीं पाएं. गृह विभाग के प्रधानसचिव आमिर सुबहानी ने बताया कि अपीलीय वादों की निगरानी और उसका निस्तारण त्वरित गति से हो इसकी जिम्मेदारी जिलाधिकारी और जिला पुलिस अधीक्षकों को सौंपी गयी है. उन्होंने कहा कि जिस तरह आपराधिक मामलों की निगरानी कर त्वरित सुनवाई के तहत अभियुक्तों को सजा दिलवाई जा रही है उसी तरह किसी मामले में सजा हो जाने पर जैसे ही अभियुक्त से अपील दायर की जाती है वैसे ही सरकार की ओर से यह प्रयास होता है कि उसकी भी निगरानी और त्वरित निष्पादन किया जाये.
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