दिल्ली गैंगरेप मामले में पीड़ित लड़की का बयान फिर से दर्ज किया गया है। पुलिस ने एक मजिस्ट्रेट के सामने उसका बयान दर्ज किया है। इससे पहले लिये गए बयान पर विवाद होने की वजह से बयान दबारा लेने का फैसला किया गया। बयान लेने वाली एसडीएम ऊषा चतुर्वेदी ने पुलिस की दखलंदाजी का आरोप लगाया था।
मिली जानकारी के मुताबिक सफदरजंग अस्पताल में गैंग रेप पीड़ित का बयान लेने पहुंचीं विवेक विहार की एसडीएम ऊषा चतुर्वेदी की पुलिस ऑफिसरों से कहासुनी हो गई। एसडीएम का आरोप है कि पुलिस ऑफिसरों ने बयान लेने के दौरान दखलंदाजी की और उनके साथ बदसलूकी की। इस बात की लिखित शिकायत एसडीएम ने डिप्टी कमिश्नर से की, जिन्होंने इसे गृहमंत्री और उप राज्यपाल को भेज दिया है। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इस मामले में केंद्रीय गृहमंत्री को चिट्ठी लिखकर पुलिस ऑफिसरों के खिलाफ स्वतंत्र जांच की मांग की है।
सूत्रों की मानें तो एसडीएम गत शुक्रवार की रात गैंग रेप पीड़ित युवती के बयान की विडियोग्रफी कराना चाह रही थीं, जबकि पीड़ित के परिवार वाले इसके लिए तैयार नहीं थे। मौके पर मौजूद डीसीपी साउथ छाया शर्मा और दो एसीपी ने परिवार वालों के समर्थन में विडियोग्रफी करने से रोक दिया। इसी बात को लेकर एसडीएम और पुलिस ऑफिसरों के बीच तीखी बहस हो गई। इसके बाद एसडीएम ने तीनों पुलिस ऑफिसरों के नाम का जिक्र करते हुए डिप्टी कमिश्नर बी.एम. मिश्रा के पास लिखित में शिकायत कर दी।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि बयान दर्ज कराने के समय तीनों ऑफिसरों में से कोई भी पीड़ित के कमरे में नहीं था। दिल्ली पुलिस ने अपनी सफाई में कहा है कि विडियोग्रफी न करने का दबाव पुलिस वालों ने नहीं बल्कि पीड़ित की मां ने बनाया था। पुलिस का कहना है कि जब जज ने बयान लिया तब तीनों पुलिसवाले वहां पर मौजूद नहीं थे।
इस मामले में शीला दीक्षित ने भी गृहमंत्री के पास शिकायत चिट्ठी भेजी है। दीक्षित का कहना है कि पीड़ित लड़की का बयान दर्ज किए जाते वक्त पुलिस ने एसडीएम पर दबाव बनाने की कोशिश की। बयान की विडियो रिकॉर्डिंग भी नहीं होने दी। दीक्षित ने गृहमंत्री ने इस पूरे मामले की जांच किए जाने की मांग की है। चिट्ठी में यह भी बताया गया है कि पुलिस ने महिला एसडीएम को विडियो रिकॉर्डिंग न करने के लिए धमकाया भी है।
पुलिस ने दिल्ली की मुख्यमंत्री की चिट्ठी लीक होने के मामले की जांच की मांग की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बलात्कार पीड़ित का बयान रिकॉर्ड करते समय पुलिस हस्तक्षेप हुआ।
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