'आतंक निरोधी कानून में संशोधन न करे भारत' - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 16 दिसंबर 2012

'आतंक निरोधी कानून में संशोधन न करे भारत'


ह्यूमन राइट वॉच ने कहा है कि भारतीय संसद को आतंकवाद निरोधी कानून में प्रस्तावित संशोधनों को खारिज कर देना चाहिए, क्योंकि इससे इस कानून का दुरुपयोग बढ़ सकता है। ह्यूमन राइट वॉच ने कहा है कि संसद को सरकार से आग्रह करना चाहिए कि वह अनधिकृत गतिविधि (निवारक) अधिनियम-1967 में प्रस्तावित संशोधनों को वापस ले ले, जिसपर सोमवार को राज्यसभा में मतदान होना है। 

आम जनता या सामाजिक संगठनों से बगैर कोई राय-मशविरा किए इन संशोधनों को लोकसभा में 30 नवम्बर को पारित कर दिया गया था। ये संशोधन सरकार को प्रतिबंधित संगठनों पर पांच वर्ष प्रतिबंध बढ़ाने और किसी व्यक्ति व व्यक्तियों के संगठन की परिभाषा व्यापक करने की छूट प्रदान करेंगे।

संगठन की दक्षिण एशिया की निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, "भारत की जहां एक ओर अपने नागरिकों को आतंकवादी हमलों से बचाने की जिम्मेदारी है, वहीं दूसरी ओर संदिग्धों को अधिक समय तक हिरासत में रखने के लिए, फर्जी सबूत पर आरोप पत्र दाखिल करने के लिए, और उचित कानूनी प्रक्रिया के बगैर संगठनों को प्रतिबंधित करने के लिए आतंकवाद निरोधी कानून का लम्बे समय से दुरुपयोग भी किया गया है।"

गांगुली ने कहा, "ये संशोधन इस कानून को अधिकारियों के हाथ का और भी खतरनाक औजार बना देंगे, जो शांतिपूर्ण आलोचनाओं व अल्पसंख्यक समुदायों का दमन करना चाहते हैं।" ह्यूमन राइट वॉच ने चिंता जाहिर की है कि यह कानून पुलिस को इस बात की छूट प्रदान करेगा कि वह किसी भी व्यक्ति को केवल किसी संदिग्ध के साथ सम्पर्क के आधार पर आरोपित कर सकती है।

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