जार्ज बर्नार्ड शा महान् प्रतिभाशाली, बड़ी ही तीक्ष्ण बुद्धि वाले, गहन चिन्तक थे। जीवन और जगत् के विषय में उनकी दृष्टि बड़ी गहन थी। संसार के बिखरे और उलझे हुए झमेले मे से सत्य और तथ्य को खोज निकालने में वे प्रवीण थे। इसीलिए उनके विचार जानने के लिए लोग बहुत उत्सुक रहा करते थे। कोई भी विषय हो, उस बारे में बर्नार्ड शा क्या कहते हैं, यह सभी जिज्ञासु जानना चाहते थे। एक दिन किसी जिज्ञासु ने उनसे पूछा - ‘आप पुनर्जन्म को मानते हैं ?’’
‘हाँ।’ ‘तो, यदि आपको पुनर्जन्म में विश्वास है तो पहले तो यह बताने की कृपा कीजिए कि आगामी जन्म में आप किस धर्म में उत्पन्न होना चाहेंगे ?’ ‘निश्चित रूप से जैन धर्म में।’ ‘कारण ?’ ‘इसलिए, कि जैन धर्म प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर बन सकने की संभावना प्रदान करता है। इससे बड़ी कोई बात, किसी धर्म में हो नहीं सकती।’ ‘आप ठीक कहते हैं, शा साहब ! अब कृपया यह भी बताइये कि आप किस देश में उत्पन्न होना चाहेंगे ?,-जिज्ञासु ने पूछा। ‘श्री लंका में।’ ‘और वह क्यों ?’ ‘क्योंकि श्रीलंका के निवासियों में भ्रातृ-प्रेम की भावना सर्वोत्कृष्ट है। मनुष्य अन्य मनुष्यों को अपना भाई समझे, उससे अच्छी और कौन सी बात हो सकती है ?’
ये थे जार्ज बर्नार्ड शा के उत्तम विचार धर्म एवं मानवता के विषय में। पश्चिम की संस्कृति में पले, पूर्णतः शाकाहारी इस महान् विचारक के विचार हम पूर्व के लोगों के लिए भी अनुकरणीय हैं।
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