हर गाँव में खुले सरकारी दवाखाना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 16 दिसंबर 2012

हर गाँव में खुले सरकारी दवाखाना


  • -निजी दावा कम्पनियों की मनमानी पर विभिन्न संगठनों की मांग
  • -देशव्यापी जनांदोलन की तैयारी


अधिकतम खुदरा मूल्य यानि एमआरपी के नाम पर दावा कंपनियों की मनमानी के खिलाफ विभिन्न गैर-सरकारी संगठन लामबंद हो रहे हैं। वे सरकार की मौजूदा दावा नीति और दवा कंपनियों के खिलाफ जनांदोलन करने की चेतावनी जारी कर रहे हैं। रविवार को इस सम्बन्ध में दिल्ली के सरिता विहार इलाके में प्रतिभा जणांनी सेवा संस्थान ने "स्वस्थ भारत, विकसित भारत" के नारे के साथ एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमे शामिल एक्टिविस्टों और बुद्धिजिविओन ने सरकार से दवाओं की एमआरपी को न्यूनतम खुदरा मूल्य करने, हरेक गाँव में सरकारी केमिस्ट की दूकान खोलने और दावा की कीमतों को टैक्स फ्री करने की मांग की . कार्यक्रम में निजी दवा कम्पनियों के खिलाफ आगामी दिनों में जान्दोलन करने की रूपरेखा तैयार की गयी .
    
संस्थान के नॅशनल कोओ-ऑर्डिनेटर आशुतोष कुमार सिंह के मुताबिक , सरकार की लापरवाही के चलते लोगों की गाढ़ी कमाई लुट रही है। एमआरपी के नाम पर वे लोगों से जीवनरक्षक और दूसरी श्रेणीओं की दवा की  कीमत कई  गुना  वसोली जाती है।  नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथोरिटी यानी एनपीपीए के कम्पोडियम-2011 नियम की घोर अवहेलना हो रही है। इस नियम के मुताबिक  "सिप्लोक्स-टीजेड" के 10 गोलियों की कीमत 25.9= रूपये होनी चाहिए, मगर सिप्ला उस पत्ते की कीमत 105 रूपये वसूलती है . इसी प्रकार दूसरी निजी कम्पनियां भी हर प्रकार की दावा पर कई गुना कीमत लोगों से वसूल रही है। एनपीपीए  "दवा लौबी" के आगे नतमस्तक है। सरकार निजी दवा कम्पनियों के हित के मुताबिक नियम बना रही है . इतना ही नहीं , दवा कम्पनियों पर लगाम कसने के बजाय उनकी निगरानी में भरपूर ढील दे रही है। केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ़ फार्मेसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, साल 2007-08 में देशभर से दवाओं के 1450 सैम्पल इकठ्ठा किये गए, वहीँ 2011-12 में यह तादाद गिरकर 307 पर रह गयी।
     
आशुतोष  के मुताबिक़, इस फिल्ड में ब्रांडेड कम्पनियां दावा के निर्माण और विपणन के नाम पर मनमाना रेट लेती हैं। सरकार हाथ पर हाथ धरे हुई है। वह एक भी अतिरिक्त सरकारी दावा निर्माण कम्पनी और केमिस्ट की दूकान नहीं खोलना चाहती। नतीजतन, भारत की जनता का स्वास्थ्य मद में कुल कमाई का 60 से 65 फीसदी हिस्स्सा जा रहा है। यह बात मैं नहीं , बल्कि फिक्की और अर्नेस्ट एंड यंग की सर्वे रिपोर्ट कहती है, जबकि आमलोगों की कमाई कितनी है। यह बात किसी से नहीं छुपी। हमारी मांग है की सरकार हर गाँव में सरकारी दवा बिक्री केंद्र खोले , ताकि लोगों को सस्ती दरों पर दवा मुहैया हो सके। हम चाहते हैं की दावा के साथ-साथ फ़ूड सप्लीमेंट्स के भ्रामक विज्ञापन भी रोक लगे 

कार्यक्रम का सञ्चालन संस्थान के "कंट्रोल एमे एम्एम्आरपी " अभियान को समर्थन दे रहे संगठन "सिम्पैथी " के करता -धर्ता डॉक्टर आर कान्त ने किया। कार्यक्रम में अपने विचार रखने वाले लोगों में बियोंड हेडलाइन्स के सम्पादक अफरोज आलम साहिल, दैनिक भास्कर के पत्रकार दिलनवाज़ पाशा और डाईलोग इंडिया के सम्पादक अनुज अग्रवाल प्रमुख थे। इनके अलावा कार्यक्रम में डॉक्टर ए  के तिवारी, अवधेश मौर्य ,  धर्मेन्द्र कुमार सिंह भी मौजूद थे। कार्यक्रम में काठमांडू से अपनी माँ  का इलाज़ करने आये    एक पीड़ित ने भी अपनी व्यथा लोगों के सामने रखी।

अमित कर्ण
मीडिया प्रभारी 
सेल नंबर :- 09820445164

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