पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री पनाबाका लक्ष्मी ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि एलपीजी (आपूर्ति और वितरण का विनियमन) आदेश, 2000 के अंतर्गत प्रावधानों के अनुसार एक आवासीय इकाई में पति, पत्नी,अविवाहित बच्चों और आश्रित माता-पिता सहित एक साथ रह रहा परिवार, जिसकी एक साझी रसोई हो, परिवार के किसी भी वयस्क सदस्य के नाम पर जारी घरेलू एलपीजी कनेक्शन ले सकता है। उपर्युक्त शर्त के उल्लंघन में उसी पते पर अलग-अलग नामों पर और उसी नाम और उसी पते पर एक से अधिक एलपीजी कनेक्शन अनुमत नहीं है। तथापि, ऐसे कनेक्शनों को ग्राहक के अनुरोध पर गैर घरेलू छूट प्राप्त श्रेणियों (एनडीईसी) की दरों पर 14.2 कि.ग्राम कनेक्शन में परिवर्तित करने की अनुमति प्रदान की गई है। उन्होंने स्वीकार किया कि घरेलू इस्तेमाल के लिए एलपीजी के खुदरा मूल्य और वाणिज्यिक एलपीजी के बाजार मूल्य में अंतर होने के कारण कुछ बेईमान तत्वों द्वारा राजसहायता प्राप्त घरेलू एलपीजी सिलेंडरों के कदाचार की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
मंत्री ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि एलपीजी वितरण में कदाचारों को रोकने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसीज) वितरकों के परिसरों का नियमित रूप से औचक निरीक्षण, रीफिल जांच, ग्राहकों के परिसरों पर औचक जांच, सुपुर्दगी वाहनों की मार्गस्थ जांच, औचक गुणवत्ता नियंत्रण जांच करती है, जिसमें वितरकों के गोदामों पर सिलेंडरों का वजन आदि करना शामिल है। एलपीजी वितरकों का किसी कदाचार में दोषी पाए जाने पर विपणन अनुशासन दिशा -निदेशरें (एमडीजी) के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। तेल वितरण कंपनियों द्वारा की गई कार्रवाई के अतिरिक्त राज्य सरकारों को भी अनिवार्य वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत प्रकाशित एलपीजी (आपूर्ति और वितरण का विनियमन) आदेश, 2000 के अंतर्गत घरेलू एलपीजी की कालाबाजारी के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए अधिकार दिए गए हैं।
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