आरोपियों को जिंदा रहने का कोई हक नहीं. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 30 दिसंबर 2012

आरोपियों को जिंदा रहने का कोई हक नहीं.


भारत की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने कहा है कि दिल्ली गैंगरेप के आरोपियों को जिंदा रहने का कोई हक नहीं है। उन्होंने पीड़ित के प्रति संवेदना व्यक्त करने हुए कहा कि वह ऐसे दुर्दात अपराधियों के लिए समाज में कोई जगह नहीं है, वह अपने जिंदा रहने का हक पूरी तरह से खो चुके हैं।

गैंगरेप पीड़िता के आरोपियों को फांसी देने की मांग पर भले ही केंद्र सरकार घुटने टेकती दिखाई दे रही हो लेकिन हकीकत यह है कि केंद्र इससे पहले पांच दुष्कर्म करने के बाद हत्या करने के दोषियों की फांसी की सजा माफ करवाने की सफल कोशिश कर चुका है। यह हम नहीं बल्कि पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने कहा है।

पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के बयान ने यूपीए सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। गैंगरेप पीड़ित पर पूरे देश में तूफान मचा है। इसी बीच प्रतिभा पाटिल ने अपने कार्यकाल के दौरान माफी के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराया है। पूर्व राष्ट्रपति ने एक मराठी चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार की सलाह पर पांच बलात्कारियों की फांसी की सजा को माफकर उम्रकैद में बदल दिया था। गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अपने कार्यकाल के दौरान 35 लोगों की फांसी की सजा माफ कर दी थी, जिनमें से 5 रेपिस्ट हैं।

अपने कार्यकाल में दुराचारियों की फांसी की सजा माफ करने के मामले में सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि यह फैसला गृह मंत्रालय की राय पर लिया गया था। फांसी माफ किए जाने से पहले सलाह ली गई थी और पूरे केस को स्टडी किया गया था। इसके बाद ही फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का फैसला लिया गया था। उन्होंने अपनी सफाई कहा कि सजा माफ नहीं की गई थी, बल्कि बदल दी गई थी।

पूर्व राष्ट्रपति ने जिन पांच दुष्कर्मियों की फांसी की सजा को माफ किया था उनमें वह अपराधी थे जिन्होंने दुष्कर्म करने के बाद पीड़ित की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी थी। इसमें एक मामले में एक जेलर के सामने ही एक कैदी ने उसकी बेटी से दुष्कर्म करने के बाद उसकी बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी थी, जबकि एक अन्य मामले में दुष्कर्म करने के बाद दोषी ने पूरे परिवार की हत्या कर दी थी। इतने जघन्य अपराध के लिए दी गई फांसी की सजा को भी केंद्र सरकार ने तब्दील कर उम्रकैद में बदलने की सजा दी थी। ऐसे में सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लग गया है।

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