भारत एशियाई चैम्पियन्स हॉकी के फाइनल में. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

भारत एशियाई चैम्पियन्स हॉकी के फाइनल में.


भारत ने पहले हाफ के लचर प्रदर्शन से उबरते हुए चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को रोमांचक मुकाबले में 2-1 से हराकर एशियाई चैम्पियन्स ट्रॉफी हॉकी टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाई। भारत की ओर से रुपिंदर पाल सिंह (36वें मिनट) और चिंग्लेसाना (51वें मिनट) ने गोल दागे, जबकि पाकिस्तान की ओर से एकमात्र गोल 57वें मिनट में मोहम्मद वकास ने किया।
      
छह टीमों के टूर्नामेंट में यह भारत की लगातार चौथी जीत है। भारतीय टीम ने इससे पहले चीन को 4-0, जापान को 3-1 और ओमान को 11-0 से हराया था। भारत अपने अंतिम लीग मैच में कल मलेशिया से भिड़ेगा। भारतीय टीम अभी अपने चारों मैच जीतकर 12 अंक के साथ शीर्ष पर चल रही है जबकि पाकिस्तान और मलेशिया दोनों के चार-चार मैचों में सात-सात अंक हैं। पाकिस्तान को हराकर 
      
मध्यांतर तक दोनों की टीमें गोल करने में नाकाम रही, लेकिन दूसरे हॉफ में शानदार हॉकी का नजारा देखने को मिला। युवा दानिश मुज्तबा पाकिस्तान के डिफेंडरों को छकाते हुए सर्कल में पहुंचे, लेकिन विरोधी टीम के एक डिफेंडर ने उनका रास्ता रोक दिया, जिससे मलेशिया के अंपायर लिंगाम कारूपुसाकी ने दूसरे हॉफ के पहले मिनट में ही भारत को पेनल्टी स्ट्रोक दिया। रुपिंदर पाल सिंह ने पेनल्टी स्ट्रोक को गोल में बदलकर भारत को 1-0 की बढ़त दिलाई। युवा चिंग्लेसाना ने इसके बाद 51वें मिनट में गुरविंदर सिंह चांडी के शानदार पास पर मैदानी गोल दागकर भारत को 2-0 से आगे कर दिया।
      
पाकिस्तान ने अपने तीसरे पेनल्टी कार्नर के दौरान गोल दागा, जबकि भारतीय गोलकीपर ने विरोधी ड्रैग फ्लिकर के शॉट को तो रोक दिया, लेकिन रिबाउंड पर मोहम्मद वकास ने गोल करके भारत की बढ़त को कम कर दिया। भारत ने गेंद की उंचाई को लेकर विरोध दर्ज कराया लेकिन अंपायरों ने इसे नकार दिया।
      
पाकिस्तान के गोल करने के तुरंत बाद भारत के उप कप्तान रघुनाथ को पीला कार्ड दिखाया गया, लेकिन टीम अंत तक अपनी बढ़त बरकरार रखते हुए जीत दर्ज करने में सफल रही। पाकिस्तान को मैच के अंतिम लम्हों में पेनल्टी कार्नर मिला लेकिन भारतीय डिफेंस ने विरोधी टीम के प्रयासों को नाकाम करते हुए उसे बराबरी हासिल करने से रोक दिया। भारत ने हालांकि कुछ मौकों पर कमजोर खेल भी दिखाया और टीम चार पेनल्टी कार्नर में से एक को भी गोल में नहीं बदल सकी।

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