‘आलू मोटापा बढ़ाता है और मधुमेह रोगियों के लिए आलू खाना नुकासानदेह है..’ इन धारणाओं को खारिज करते हुए हार्टिकल्चर प्रोड्यूस मैनेंजमेंट इंस्टीट्यूट (एचपीएमआई), लखनऊ से जनहित में जारी एक पर्चे में कहा गया है कि आलू में वसा की मात्रा बेहद कम है और पश्चिमी देशों में मधुमेह रोगियों को आलू कम कैलोरी के भोजन के रूप में दिया जाता है.
एचपीएमआई ने इस पर्चे में केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के तकनीकी बुलेटिन संख्या.49 के हवाले से कहा है,आलू मोटापा बढ़ाता है.यह भ्रांति है. कच्चे तथा उबले आलू में मात्र 0.1 प्रतिशत वसा होती है जो मोटापा नहीं बढ़ा सकती. इसे तेल या घी में तलने से ही वसा की मात्रा बढ़ती है. आलू को उबाल कर खाने से मोटापा नहीं बढ़ता.
मधुमेह रोगियों के लिए आलू खाने पर रोक के संबंध में इसमें कहा गया है, ‘आलू की ग्लाइसेमिक इंडेक्स (ग्लूकोल की मौजूदगी का मानक) ऊंचा होने के कारण मधुमेह रोगियों को आलू खाने से मना किया जाता है. किन्तु आलू में संतुलित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और वसा की मात्रा कम होने के कारण पश्चिमी देशों में मधुमेह रोगियों के लिए इसे कम ऊर्जा वाले भोजन के रूप में देने की सिफारिश की जाती है जबकि उन देशों में आलू अधिक खाया जाता है.’‘आलू एक सम्पूर्ण आहार’ शीर्षक वाले इस पर्चे को हाल में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा पूसा में आलू पर आयोजित एक कार्यक्रम में बांटा गया. इसमें कहा गया है कि पश्चिम एशियाई ऐलोपैथी चिकित्सा पद्धति आलू के सेवन से परहेज करने के लिए ‘संभवत: इसलिए सलाह देती है क्योंकि पश्चिमी देशों में आलू की खपत दैनिक भोजन के रूप में अधिक होती है.’
एचपीएमआई के अनुसार बेलारूस में प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 653 किग्राआलू की खपत होती है तथा पोलैंड में यह औसत 467 किग्रा का है. भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष आलू का उपभोग 14.8 किग्रा है और भारत में आलू भोजन का महत्वपूर्ण भाग न होकर पापड़, चिप्स और नमकीन आदि में इस्तेमाल होता है. पर्चे के अनुसार आलू के कन्द में 75.80 प्रतिशत पानी, 16.20 प्रतिशत काबरेहाइड्रेट, 2.5 से तीन प्रतिशत प्रोटीन, 0.6 प्रतिशत रेशा, 0.1 प्रतिशत वसा और एक प्रतिशत खनिज पदार्थ पाये जाते हैं. इसके अतिरिक्त आलू में विटामिन और ग्लाइको अल्काइड भी थोड़ी मात्रा में पाये जाते हैं.
शकरकन्द और अन्य कन्द की तुलना में यह कम कैलोरी प्रदान करता है. इसमें जोर दिया गया है कि आलू को उबालकर खाया जाना चाहिये इससे यह कम ऊर्जा वाले खाद्य का काम करता है और इससे मोटापा नहीं बढ़ता. पर्चे में कहा गया है कि 100 ग्राम कच्चे आलू में 80 कैलोरी ऊर्जा, सूखे आलू में 321 कैलोरी तथा इतनी ही मात्रा में मक्के में 96 कैलोरी, चावल में 364 कैलोरी, गेहूं में 332 कैलोरी और ज्वार में 342 कैलोरी ऊर्जा होती है.
संस्थान का दावा है कि आलू में पाया जाने वाला प्रोटीन गेहूं, दूध तथा मांस में पाये जाने वाले प्रोटीन से अधिक गुणवत्ता वाला और जैविक रूप से उपयोगी होता है. इसमें शरीर के विकास के लिए जरूरी माने जाने वाला लाइमिन नामक एमिनो एसिड आलू में प्रचूरता में पाया जाता है. कच्चे आलू की 100 ग्राम मात्रा में 20 से 30 मिलीग्राम विटामिन सी पाया जाता है जो गाजर, प्याज और कद्दू से अधिक है. आलू विटामिन सी का अच्छा स्रोत है. इसमें तरह तरह के विटामिन और फास्फोरस, कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, लोहा, जस्ता और मैगनेशियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा इसमें तांबा, मैगनीज, मोलीबिडनम और क्रोमियम की थोड़ी मात्रा पाई जाती है. इसी प्रकार इसमें थोड़ी मात्रा में सुहागा, ब्रोमीन, आयोडीन, एल्युमीनियम, कोबाल्ट और सेलेनियम पाए जाते हैं. आलू में सोडियम की मात्रा बहुत कम होने के कारण यह उच्च रक्तचाप के लिए फायदेमंद है.
संस्थान का दावा है कि आलू के केन्दों को सूर्य का प्रकाश अधिक प्राप्त होने पर वे कन्द हरे रंग के हो जाते हैं तथा इन कन्दों में सोलेनिन का मात्रा अधिक हो सकती है जिसका निर्धारित सीमा से अधिक सेवन नुकसानदेह है. हरे कन्दों का भोजन में प्रयोग वर्जित है. इसमें कहा गया है कि आलू को पकाते समय छिलके सहित पकाना चाहिये इससे उसके पोषक तत्व ज्यादातर सुरक्षित रहते हैं. छिलके उतार कर पकाने से 20 से 30 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. इसमें कहा गया है कि आलू को काटने के बाद तुरत पकाने अथवा पकाने के पूर्व पानी में रखने से भी पोषक तत्व कम नष्ट हो पाते हैं.
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