दिल्ली में भव्य मैथिली नाट्य महोत्सव जारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

दिल्ली में भव्य मैथिली नाट्य महोत्सव जारी


राष्ट्रीय राजधानी में तीन दिनों से चल रहा मैथिली नाटकों का सप्ताह (मलंगिया नाट्य महोत्सव) शुक्रवार को भी जारी रहा। इस महोत्सव का समापन 30 दिसम्बर को होगा।  शुक्रवार को महेंद्र मलंगिया लिखित नाटक 'ओकरा आंगनक बारहमासा' का मंचन किया गया। नेपाल के जनकपुर धाम से अाई मिथिला नाट्यकला परिषद की टीम ने मिथिलांचल के दलित समुदाय के श्रमिकों की साल के 12 महीनों में उनकी कैसी दशा रहती है, इसे बखूबी प्रस्तुत किया। इस नाटक का विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित निर्देशन रमेश रंजन ने किया।

बिहार के उत्तरी क्षेत्र यानी मिथिला और नेपाल की द्वितीय राजभाषा मैथिली में नाट्य-लेखन की प्राचीन परंपरा रही है। 150वीं शताब्दी में महाकवि विद्यापति और उससे भी पहले ज्योतिरीश्वर ठाकुर के समय से चली आ रही इस परंपरा ने वर्तमान में कैसा स्वरूप अख्तियार किया है, कला प्रेमियों को यह बताने के लिए मैथिली रंगकर्म को समर्पित दिल्ली की संस्था मैलोरंग (मैथिली लोक रंग) ने यहां के मंडी हाउस स्थित श्रीराम सेंटर में मलंगिया नाट्य-सप्ताह का आयोजन किया है। नाटकों का मंचन प्रतिदिन शाम 6.30 बजे शुरू होता है।

महोत्सव के पहले दिन 26 दिसम्बर को 'गाम नइं सुतैए' का मंचन हुआ। यह पंचकोसी, सहरसा की प्रस्तुति थी और इसके निर्देशक थे उत्पल झा। इस अवसर पर मैथिली के प्रख्यात नाटककार महेंद्र मलंगिया को सम्मानित भी किया गया। दूसरे दिन उन्हीं के नाटक 'छुतहा घल' का मंचन मिथिलांगन, दिल्ली की ओर से किया गया। खास बात यह कि नेपाल के राष्ट्रपति डॉ. राम बरन यादव ने भी विशिष्ट अतिथि के रूप में इस नाटक का अवलोकन किया।

29 दिसम्बर को कोलकाता की संस्था मिथिला विकास परिषद नाटक 'जुआयल कनकनी' अशोक झा के निर्देशन में प्रस्तुत करेगी और अंतिम दिन 30 दिसम्बर को मेजबान संस्था मैलोरंग (दिल्ली) प्रकाश झा के निर्देशन में महेंद्र मलंगिया का नाटक 'ओरिजनल काम' प्रस्तुत करेगी। महोत्सव के प्रहले दिन मलंगिया के लिखे सात नाटकों के संग्रह का लोकार्पण मोहन भारद्वाज, देवशंकर नवीन, महेंद्र मलंगिया और पंचानन मिश्र ने संयुक्त रूप से किया था।

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