भारत की प्रगति में पीवी का अप्रतिम योगदान : प्रणब - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 31 दिसंबर 2012

भारत की प्रगति में पीवी का अप्रतिम योगदान : प्रणब


राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव को "भारत का महान सपूत" बताया। दूसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में और अत्यंत संकट की घड़ी में देश का नेतृत्व करने के लिए राव याद किए जाते रहेंगे। नरसिंह राव स्मृति व्याख्यान में राष्ट्रपति ने यह कहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री को भावभीनी श्रद्धांजलि दी कि उनके आर्थिक सुधार शुरू करने संबंधी साहसिक फैसले का लाभ आज देश को हो रहा है। राष्ट्रपति की टिप्पणी को कांग्रेस द्वारा नरसिंह राव के योगदान को देर से स्वीकृति देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

खास तौर से 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने समेत 1991 से 1996 तक राव के प्रधानमंत्री रहने के दौरान अन्य विवादों के कारण कांग्रेस उनकी राजनीतिक विरासत को हमेशा नजरअंदाज करती रही। राष्ट्रपति ने कहा अनुभवी नेता माने जाने वाले पीवी राजनीतिक सूझबूझ और दूरदर्शिता के लिए भी याद किए जाते हैं। उन्होंने 1991 के चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के बावजूद सरकार बनाने में इसका परिचय दिया था। 

मंत्रिमंडल के गठन में वित्तमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह का चुनाव करने के लिए भी प्रणब ने पीवी की सराहना की। उन्होंने कहा कि वे समझ चुके थे कि दूरगामी परिणाम वाले आर्थिक सुधारों को लागू करना एक सामान्य राजनीतिक कार्यकर्ता के लिए आसान काम नहीं होगा। 

उन्होंने कहा कि 1991 में किस तरह की आर्थिक परिस्थितियां थीं इसकी कल्पना आज नहीं की जा सकती। विदेशी मुद्रा सुरक्षित कोष एक अरब डॉलर से भी नीचे चला गया थ। इससे सिर्फ दो सप्ताह तक आयात हो सकता था। लोक सभा में बजट पारित नहीं हो पाया था और दो महीने के लिए लेखानुदान पारित हो सका।

राव को बहुमुखी प्रतिभा का धनी करार देते हुए प्रणब ने कहा कि हिंदी समेत वे 16 भाषाओं के जानकार थे। उत्तर भारत के हिंदी भाषियों के साथ भी पूरी सहजता से बात कर लेते थे। 

2 टिप्‍पणियां:

Karupath ने कहा…

अच्‍छी खबर, लिखते रहें

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए,
मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
ज्यों कहीं फिसल गए।
कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
कुछ आकुल,विकल गए।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए।।
शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
इस उम्मीद और आशा के साथ कि

ऐसा होवे नए साल में,
मिले न काला कहीं दाल में,
जंगलराज ख़त्म हो जाए,
गद्हे न घूमें शेर खाल में।

दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
ऐसा होवे नए साल में।

Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.

May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!