मारपीट एक गिरफ्तार
शिकारपुर पुलिस ने बुधवार की रात छापामारी के दौरान मार पीट कर फरार अभियुक्त नोनिया टोला गाव निवासी अर्जुन पासवान पिता बेलास पासवान को गिरफतार कर गुरूवार को जेल भेज दिया। उक्त अभियुक्त के विरूध शिकारपुर थाना में कांड संख्या 419/2011 अंकित हैं। दूसरी ओर शिकारपुर थाना अंतर्गत नोनिया टोला गाॅंव में शराब पी कर गाली गलौज कर गीर जाने के उपरान्त हुए, आपसी विवाद के मार पीट में अर्जुन साह जख्माी हो गया, जिसका ईलाज सरकारी अस्पताल में किया गया।
सफारी दुर्घटना में दो जख्मी
शिकारपुर थाना अन्ंतर्गत हरदीटेढ़ा माई स्थान के समीप सफारी गाडी पलट जाने के कारण दो युवको के घायल होने और गाड़ी के बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाने की खबर है। मिली जानकारी के अनुसार गुरूवार की सुबह सफारी गाड़ी पर सवार होकर विकास कुमार नरकटियागंज आनंद कुमार(मुन्ना) नरकटियागंज अनुराग मिश्रा(विक्की) हरदिया चैक से गौनाहा जा रहे थे। उसी क्रम में नरकटियागंज-गौनाहा रोड स्थित हरदीटेढ़ा माई स्थान के पास उक्त गाड़ी अनियन्त्रित होकर 25 मीटर घसीटते हुए गड्ढे में गिर गयी। ंजिसके कारण गाडी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी। इस गाडी में बैठे उपर्युक्त व्यक्ति जख्मी हो गये। ग्रामीणों द्वारा घायलों को सरकारी अस्पताल में ईलाज के लिए लाया गया, जहाँ चिकित्सको ने उनका प्राथमिक उपरचार किया। इस संबंध में चिकित्सक श्रीनाथ प्रसाद ने बताया कि उक्त जख्मी खतरे से बाहर हैं। दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी एम एच 04 डी एन 3188 है जो केहुनिया के मृत्युंजय मिश्र की बतायी गयी है।
फोटोः वनाधिकार मंच का आन्दोलन
अब अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकारी आयोग में मामला जाएगा: वनाधिकार मंच
- वनवासियों को झुठे मुकदमें में नहीं फँसाये प्रशासन,
- संविधान प्रदत्त अधिकार हम लेकर रहेंगे: संघर्ष मोर्चा
अनुमण्डल के मटियरिया थाना अन्तर्गत बनहवा परसा देवी स्थान के पास अखिल भारतीय थारू कल्याण महासंघ, चम्पारण आदिवासी उराँव महासभा के संयुक्त संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में वनाधिकार मंच ने वन विभाग द्वारा रैयती जमीन पर लगाये गये विभागीय पीलर (सीमा स्तंभ) को हजारो की संख्या में मौजूद लोगो ने उखाड़ फेंका।
इसके पूर्व आयोजित सभा में वक्ताओ ने कहा कि वन प्रमण्डल पदाधिकारियों, वन संरक्षको और अन्य अधिकारियों ने जंगल के किनारे रहने वाले वनवासी थारू, उराँव और अन्य जातियों को उनके परम्परागत अधिकारों से वंचित किया जा रहा है । अब संधर्ष मोर्चा अपने अधिकारों को छीनने नहीं देगा। थारू व उराँव नेताओ ने बताया कि सरकार इन्दिरा आवास बनाने के लिए 45000 रूपये देती है । जबकि वन विभाग के दो पिलर मरम्मती के नाम पर पाँच लाख की रकम आवंटित करने का निर्णय लिया गया है। इस प्रकार के फिजूलखर्ची को आदिवासी नेताओ ने आड़े हाथों लिया और कहा कि जनता का सेवक मालिक बनने की चाल चल रहा है, जो हम कतई बर्दाश्त नहीं है। हरनाटाँड से धुमाटाँड-जसौली के हजारों थारू आदिवासी नेताओं व महिलाओ ने कार्यक्रम में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की और भारत सरकार द्वारा वनवासियो के वनाधिकार कानून को अक्षरशः लागू करने की पुरजोर मांग की। वक्ताओ ने यह भी कहा कि वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी वनो की कटाई कराते है और उसका दोष गरीब थारू व जंगल के किनारे रहने वालो पर लाद कर झूठा मुकदमा कर देते है। ऐसा ही एक वाकया डीएफओ बीपी सिन्हा के कार्यकाल में सामने आया जब अवैध लकड़ी की खेप उन्होने पकड़ा । बताते है कि उक्त अवैध लकड़ी किसी प्रशासनिक अधिकारी की थी, लेकिन मामले मे जो मुकदमा दर्ज हुआ वह चैंकाने वाला है । वह मुकदमा जिस व्यक्ति पर दर्ज हुआ वह (रघईउराँव) 5 वर्ष पूर्व कालकवलीत हो चुका था। लकड़ी काटे सतसाल का अधिकारी पलंग वनवाये वो और मुकदमा झेले वनवासी यह कहाँ का न्याय है। उपर्युक्त बाते कहते हुए इनरदेव महतो ने कहा कि हमारे पूर्वज को लोग मूर्ख कहते थे लेकिन वे होसियार थें उन्होने अपने वनाधिकार से समझौता नहीं किया। पूर्व मुखिया योगेन्द्र ओझइया, कैलाशी देवी, शैला देवी, रामसवारी देवी, सीता देवी ने कहा कि थारूओ को नाहक फंसाया जाता है और मर्दो पर जुल्म ढाये जाते हैं। महिलाओ ने कहा कि उनके घर में दीवान व पलंग नहीं है। यह सब तो वन विभाग के नौकरशाहो के पास हैं। जंगल की नौकरी करने वाले मालिक बन बैठे है और असली मालिक वनवासियों को बेदखल करने की धमकी देते है। थारू नेता प्रतापचन्द काजी ने कहा कि असर्वेक्षित जमीन और थारूओ व वनवासियो की जमीन पर वन विभाग अपना दावा पेश कर हमें परेशान कर रहा है। हम तो संविधान प्रदत अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे है। हमें अब अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकारी आयोग में मामला उठाना चाहिए। शीतल गुमस्ता ने कहा कि वनवासी सुशासन की सरकार के दुःशासनो से परेशान है। हमारे क्षेत्र मंे कुल 2 लाख 60 हजार वोटर और तीन लाख पचास हजार आबादी है, फिर भी हम निःसहाय बने हुए है। जब संविधान ने अधिकार दिये और सरकार तथा सरकारी तंत्र उन अधिकारो पर पहरा लगा रही है तो ये कैसा गणतंत्र है। संचालक वाल्मीकि प्रसाद जो पैक्स के अध्यक्ष है ने कहा कि पुलिस वाले खासकर मटियरिया थाना कान खोलकर सुन ले कि वनवासी को जंगल में जाने के लिए किसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है, इसलिए वनवासियो को नाहक परेशान नहीं करे। शैलेन्द्र गढवाल के नेतृत्व में परमेश्वर काजी, शीतल महतो, गौरीशंकर प्रसाद, विजयशंकर महतो, प्रतापचन्द काजी, दीपनारायण प्रसाद, हेमराज प्रसाद, राज कुमार महतो, गोरख उराँव व राजेश उराँव के साथ हजारांे वनवासियों ने रैयती खेत में लगे वन विभाग के पीलरों का उखाड़ फंेका। जबकि अंचल अधिकारी पूर्णेन्दू वर्मा ने संघर्ष मोर्चा के मंच से समझौते की बात करते हुए जब कहा कि वन विभाग ने मेरे अंचल के कुछ क्षेत्र में अपनी जमीन बता कर पिलर लगा दिया है हम जाँचकर 31 मार्च 2013 तक इस कार्य को पूरा कर लेंगे और वनवासियो को उनका अधिकार मिलेगा। बावजूद इसके यदि लोग नहीं मानेंगे तो बल प्रयोग करना पड़ेगा । इससे लोग उग्र हो गये और नौबत हाथापाई तक की आ गयी। सूत्रों की खबर को माने तो मूक दर्शक बनी रही पुलिस ने खम्भा उखाड़ने वालो को रोका तक नहीं । जबकि सीओ ने कहा कि वन विभाग मुकदमा करेगा, उसके बाद थारूओं ने कहा कि नौकर अब मालिको को धमका रहा है। इसके बाद कुछ अधिकारियों कांे भीड़ में चोट भी आने की खबर है, हालाकि अधिकारियों ने इस बाबत कुछ नहीं बताया। बनहवा परसा में वन विभाग के अधिकारी, मटियरिया थानाध्यक्ष केके मांझी, गौनाहा थानाध्यक्ष किरणशंकर, सहोदरा थानाध्यक्ष अवधेश कुमार समेत पुलिस बल व वनकर्मी मौजूद रहे।
(अवधेश कुमार शर्मा)
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