भारत विश्व में पांचवां सबसे बड़ा बिजली उत्पादक है और दिल्ली सरकार की ओर से कुल क्षमता की 51.5 प्रतिशत बिजली उत्पादित की जाती है वहीं केंद्रीय और निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी क्रमश: 33.1 प्रतिशत और 15.4 प्रतिशत की है। ऊर्जा उत्पादन के स्रोतों में कोयला, लिग्नाइट, प्राकृतिक गैस, तेल, जल और परमाणु विद्युत जैसे वाणिज्यिक स्रोतों से लेकर वायु, सौर और कृषि तथा घरेलू अपशिष्ट जैसे अन्य व्यवहार्य गैर परंपरागत स्रोत तक शामिल हैं।
11वीं पंचवर्षीय योजना में प्राप्त की गई क्षमता निर्माण पूर्व की योजनाओं को पहले ही पीछे छोड़ चुकी हैं। 54,964 मेगावाट क्षमता को जोड़ा गया है जिसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी काफी महत्वपूर्ण रही है और 12वीं पंचवर्षीय योजना में लगभग 88,000 मेगावाट क्षमता जोड़ने के लक्ष्य के लिए सरकार गंभीरता से प्रयासरत है। क्षमता संवर्धन में निजी क्षेत्र की भागीदारी 10वीं पंचवर्षीय योजना में 10 प्रतिशत थी जो 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान लगभग 42 प्रतिशत हो गई और 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए यह 50 प्रतिशत से भी अधिक होने की संभावना है। 2012-13 के लिए 17956 मेगावाट क्षमता संवर्धन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
वर्ष 2012-13 के दौरान केंद्रीय, राज्य और निजी क्षेत्र में कुल 17426 सीकेएम ट्रांसमिशन लाइन जोड़ने की आवश्यकता है। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना की शुरुआत के साथ बिजली से कटे हुए 1,04,496 गांवों के विद्युतीकरण का काम पूरा किया जा चुका है और 1.94 करोड़ बीपीएल परिवारों को 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंत यानी 31 मार्च 2012 तक बिजली के कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें