ममता से आहत, चित्रकार छोड़ेंगे समिति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

ममता से आहत, चित्रकार छोड़ेंगे समिति


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी को अपमानजक मानते हुए एक प्रमुख चित्रकार ने फाइन आर्ट बोर्ड के प्रमुख पद सहित दो सरकारी समितियों को छोड़ने का फैसला लिया है। इस चित्रकार ने पूर्व वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ संघर्ष में ममता बनर्जी का साथ का निभाया था। राज्य में आए राजनीतिक बदलाव में भूमिका पर सवाल उठाने के एक दिन बाद ही चित्रकार समीर आइच ने राज्य के फाइन आर्ट बोर्ड के अध्यक्ष पद और कोलकाता म्यूनिसिपल कार्पोरेशन की विशेषज्ञ समिति के सदस्य पद को छोड़ने की इच्छा जताई। कलाकार ने इसी सप्ताह के शुरू में दक्षिण 24 परगना जिले में आयोजित एक रैली में कुछ मुद्दों को लेकर ममता सरकार की आलोचना की थी। इस बात से नाराज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल नेता ममता बनर्जी ने चित्रकार को निशाना बनाया।

ममता ने कहा, "समीर आइच ने हमारे एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। मैं उनका सम्मान करती हूं। लेकिन सिर्फ एक प्रदर्शन में भाग लेने भर से वे तृणमूल कांग्रेस के सदस्य नहीं हो जाते। वे कभी तृणमूल कांग्रेस में नहीं रहे। तो फिर वे क्यों तृणमूल के सदस्य होने का दावा कर रहे हैं?" उन्होंने आगे कहा, "मैं जानती हूं कि अब वे क्यों हमारी आलोचना कर रहे हैं। अब वे माकपा के इशारे पर बोल रहे हैं।" आइच ने कहा कि बनर्जी की यह टिप्पणी उनका अपमान है। उन्होंने कहा, "मैं उनकी टिप्पणी का जवाब देना नहीं चाहता और यह भी नहीं गिनाना चाहता कि राजनीतिक बदलाव के लिए कितनी रैलियों में मैंने हिस्सा लिया। मुझे उनसे कोई प्रमाण पत्र नहीं चाहिए, क्योंकि मेरी मंशा नौकरी पाने की नहीं है। हां मैं आहत अनुभव कर रहा हूं इसलिए मैंने दोनों समितियों को छोड़ने का फैसला लिया है।"

सिंगूर और नंदीग्राम में वर्ष 2006-07 के दौरान एक औद्योगिक परियोजना के लिए तत्कालीन वामपंथी सरकार के कृषियोग्य भूमि अधिग्रहण के प्रयास के विरोध में ममता के संघर्ष को समर्थन देने वाले प्रमुख बुद्धिजीवियों में आइच भी एक थे। उन्होंने ममता की रैलियों और प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और टीवी पर होने वाली बहसों में वाम मोर्चा सरकार की खुलकर आलोचना की। उनकी दोस्ती में दरार तब आ गई जब आइच ने एक मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ता अमीनुल इस्लाम की आत्महत्या के खिलाफ आयोजित कैंडिल लाइट प्रदर्शन में हिस्सा लिया। अमीनुल ने दुष्कर्म पीड़िता एक नाबालिग लड़की की स्थानीय दबंग के खिलाफ मामला दर्ज कराने में मदद की थी। 

इसके अलावा आइच ने माकपा नेता और पूर्व मंत्री अब्दुर रज्जाक मौला पर पूर्व विधायक अराबुल इस्लाम के नेतृत्व में तृणमूल कार्यकर्ताओं के हमले के लिए सरकार को खरीखोटी सुनाई थी। राज्य में 2011 में सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी से कई बुद्धिजीवियों ने कन्नी काट ली है। वाम मोर्चा के खिलाफ संघर्ष में साथ निभाने वाली शिक्षाविद सुनंदा संन्याल, लेखिका तिलोत्तमा मजुमदार और सुचित्रा भट्टाचार्य ने भी ममता की कार्यशैली की आलोचना की है।

1 टिप्पणी:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

राजनीतिबाज़ लोग किसी के नहीं होते, आइच बाबू काहे जुटे बैठे थे वहां