पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह सोमवार को अपनी पार्टी जनक्रांति पार्टी (राष्ट्रवादी) के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में विलय के एलान के बाद भावुक होकर रोने लगे और कहा कि उनकी आखिरी इच्छा है कि जब उनका अंत हो तो उनका शव भाजपा के झंडे में लिपटा हो। लखनऊ स्थित झूलेलाल पार्क में भाजपा की रैली को संबोधित करने आए कल्याण सिंह ने कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा से बहुत कुछ सीखा है। संघ और भाजपा के संस्कार उनके रक्त की बूंद-बूद में समाए हुए हैं।
भाषण के दौरान भावुक होकर कल्याण ने कहा, "मेरी इच्छा है कि मैं जीनवभर भाजपा में रहूं और जीवन का अंत हो तो मेरा शव भाजपा के झंडे में लिपटा रहे।" कल्याण ने कहा, "बीच में कुछ ऐसी परिस्थितियां आईं कि मैं भाजपा से अलग हो गया। लेकिन आज भाजपा में आकर मेरी इच्छा पूरा हो गई। मैं चाहता हूं कि जीवन का बाकी बचा हिस्सा भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच काम करते गुजारूं।" उन्होंने कहा, "आज मेरी पार्टी का भाजपा में विलय हो गया, लेकिन मैं अभी भाजपा की सदस्यता नहीं ग्रहण कर रहा हूं क्योंकि अगर मैं सदस्यता ग्रहण करता हूं तो मेरी संसद सदस्यता समाप्त हो जाएगी। इसलिए मैं 2014 लोकसभा चुनाव से पहले औपचारिक रूप से भाजपा की सदस्यता ग्रहण करुंगा।"
पुराने तेवर दिखाते हुए कलयाण ने कहा कि एक समय था जब उत्तर प्रदेश की कुल 85 लोकसभा सीटों में भाजपा ने 60 पर जीत दर्ज की थी। कार्यकर्ताओं का अह्वान करते हुए कि आप लोग अपनी शक्ति को पहचानें हमें मिलकर फिर से भाजपा का परचम लहराना है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा और वह स्वयं मुस्लिम समाज के खिलाफ नहीं हैं लेकिन वोटों के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण नीति वह सही नहीं मानते।
उल्लेखनीय है कि कल्याण दूसरी बार भाजपा में लौटे हैं। इससे पहले साल 2007 में उन्होंने भाजपा में वापसी की थी लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा का दामन छोड़कर मुलायम सिंह यादव से हाथ मिला लिया था। लेकिन मुलायम से उनकी दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चल सकी और दोनों अलग हो गए।
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