आंध्र प्रदेश की एक अदालत ने गुरुवार को मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी को दंगा और सरकारी अधिकारी से दुर्व्यवहार करने के सात साल पुराने मामले में जमानत दे दी। मेडक जिले के संगारेड्डी शहर की सत्र अदालत ने सोमवार से जेल में बंद एमआईएम अध्यक्ष की जमानत मंजूर कर ली। अदालत ने उन्हें 2 फरवरी को 10-10 हजार रुपए के दो मुचलके और कागजात पेश करने का निर्देश दिया है।
निचली अदालत में दो जमानत अर्जियों के खारिज होने के बाद ओवैसी ने सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया। एमआईएम नेता के वकील ने अदालत से कहा कि ओवैसी को हैदराबाद में मिलाद-उन-नबी के मौके पर रात में एक सभा को संबोधित करना है। इस सभा की सभी तैयारियां की जा चुकी हैं और इसमें कुछ विदेशी वक्ताओं को भी संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया है। इसी आधार पर वकील ने अदालत से जमानत की मांग की।
वर्ष 2005 में दर्ज एक मामले में जारी गैर जमानती वारंट स्थगित किए जाने की गुहार के साथ ओवैसी सोमवार को अदालत में हाजिर हुए थे। अदालत ने उनकी अर्जी ठुकराते हुए उन्हें दो सप्ताह के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया। सांसद को इसके बाद संगारेड्डी जेल भेज दिया गया। असदुद्दीन ओवैसी, उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी एवं अन्य एमआईएम नेताओं के खिलाफ पुलिस ने मेडक जिले के मुतांगी गांव में सड़क विस्तार के लिए एक धर्मस्थल को तोड़ने से सरकारी अफसरों को रोकने का मामला दर्ज किया था। इन लोगों ने तत्कालीन जिलाधिकारी के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया था।
न्यायिक दंडाधिकारी ने मंगलवार और बुधवार को असद की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। अदालत ने उन्हें कानून का सम्मान नहीं करने पर कड़ी फटकार भी लगाई थी। दंडाधिकारी ने याद दिलाया कि गैर जमानती वारंट लंबित रहने के बावजूद 2009 से वे कभी अदालत में हाजिर नहीं हुए। असद के छोटे भाई अकबर नफरत फैलाने वाला भाषण देने के आरोप में आदिलाबाद जिला जेल में बंद हैं। उन्हें पुलिस ने 16 जनवरी को संगारेड्डी की अदालत में पेश किया था। अदालत ने मामले की सुनवाई 28 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
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