पेट्रोलियम पदार्थों पर दी जा रही सब्सिडी के बढ़ते आकार को देखते हुए सरकार विजय केलकर समिति की कुछ सिफारिशों को जल्द ही लागू कर सकती है। वैसे तो पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने कीमतों में तत्काल वृद्धि की बात से इनकार किया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि रसोई गैस व डीजल के दाम कुछ और बढ़ाए जा सकते हैं।
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि केलकर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर एक प्रस्ताव पर कैबिनेट नोट तैयार किया जा रहा है। इस बारे में शीघ्र ही फैसला हो सकता है।
उद्योग चैंबर एसोचैम के एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में मोइली ने शुक्रवार को यहां बताया कि विजय केलकर समिति की कुछ सिफारिशें लागू करने के बारे में फिलहाल चर्चाएं जारी हैं। गौरतलब है कि वित्त मंत्रालय ने केलकर समिति का गठन किया था ताकि वह बेहतर राजकोषीय स्थिति का रोडमैप सुझा सके। इसने फ्यूल की कीमतों में तत्काल बढ़ोतरी करने की सिफारिश की है। जहां तक डीजल का सवाल है, इसकी कीमत भी बढ़ाने को कहा गया है ताकि वर्ष 2014-15 तक इसके मूल्यों को पूरी तरह से नियंत्रण मुक्त किया जा सके।
केलकर कमेटी ने डीजल के मूल्य में प्रति लीटर 4 रुपये, केरोसीन तेल में दो रुपये और रसोई गैस की कीमत में प्रति सिलेंडर 50 रुपये की तत्काल बढ़ोतरी करने की सिफारिश की है। पेट्रोलियम मंत्री ने बताया कि सस्ते एलपीजी सिलेंडरों की अधिकतम सीमा को छह से बढ़ाकर नौ करने पर भी विचार हो रहा है। यदि ऐसा हुआ तो सरकार पर 9,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
इस समय तेल कंपनियों को डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 10.16 रुपये, केरोसीन तेल पर 32.17 रुपये और एलपीजी सिलेंडरों पर 490.50 रुपये का नुकसान हो रहा है जिसकी भरपाई सब्सिडी के रूप में वित्त मंत्रालय और अपस्ट्रीम कंपनियों को करनी पड़ती है। फिलहाल बाजार मूल्य से कम कीमत पर पेट्रोलियम पदार्थ बेचने की वजह से 1,55,313 करोड़ रुपये की सब्सिडी का अनुमान लगाया गया है।
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