दिल्ली पुलिस ने 16 दिसम्बर को सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई युवती के दोस्त द्वारा लगाए गए इस आरोप का शनिवार का खंडन किया कि पुलिसकर्मियों के बीच इस बात को लेकर बहस होती रही कि घटनास्थल किस थाने के अंतर्गत आता है, और इसी में बहुत मूल्यवान समय गुजर गया। वह समय पीड़िता की जान बचाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता था। दिल्ली पुलिस ने एक संक्षिप्त स्पष्टीकरण में कहा है कि पुलिस नियंत्रण कक्ष की वैन को फोन पर पहली सूचना उस रात 10.22 बजे मिली थी कि एक युवती सहित खून से लथपथ दो लोग सड़क पर पड़े हुए हैं।
पुलिस ने दावा किया कि बचाव के लिए दो वैन घटनास्थल पर चंद ही मिनट में पहुंच गई थीं और पहली सूचना मिलने के 33 मिनट के भीतर पीड़िता को अस्पताल ले जाया गया था। दिल्ली पुलिस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "पीसीआर वैन को फोन पर सूचना 10:22:20 पर मिली थी। सभी पीसीआर वैनों के लिए सूचना प्रसारित कर दी गई थी और वैन जेड-54 को घटनास्थल पर पहुंचने का निर्देश दिया गया था।"
बयान में कहा गया है, "इस बीच पीसीआर वैन ई-42 चार मिनट में यानी 10.26 पर घटनास्थल पर पहुंच गई। कॉल मिलने के 5.5 मिनट के भीतर यानी रात 10.28 बजे वैन जेड-54 भी वहां पहुंच गई थी। वह वाहन तीन मिनट के भीतर यानी 10.31 बजे पीड़िता को लेकर रवाना हो गई थी और 24 मिनट के भीतर यानी 10.55 पर सफदरजंग अस्पताल पहुंच गई। ये रिकार्ड जीपीएस (ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम) के अनुसार हैं।"
16 दिसम्बर को हुए भयानक हादसे के बाद पीड़िता के दोस्त ने शुक्रवार को पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि उसे लगता है कि 23 वर्षीया पीड़िता को बचाया जा सकता था। उसने पीड़िता को अस्पताल पहुंचाने में हुई दो घंटे से अधिक की देरी के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया, क्योंकि क्षेत्राधिकार को लेकर तीनों पीसीआर वैनों में मौजूद पुलिसकर्मी आपस में झगड़ने लगे थे।
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