बिहार के सारण के डीआईजी आलोक कुमार पर एक शराब कंपनी से 10 करोड रूपए रंगदारी मांगने का आरोप लगा है। आरोप है कि डीआईजी ने रंगदारी नहीं देने पर शराब कंपनी के प्रतिनिधी को अंजाम भुगतने की धमकी दी थी। दूसरी तरफ पुलिस को जांच में अपने इस बड़े अफसर के खिलाफ रंगदारी मांगने के सबूत भी मिल गए हैं। इस मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन इस मामले में डीआईजी को न तो सस्पेंड किया गया है और न ही उनके खिलाफ कोई दूसरी कार्रवाई ही की गई है। फिलहाल मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दी गई है।
सारण के डीआईजी आलोक कुमार पर दून वैली शराब कंपनी के प्रतिनिधि टुन्नाजी पांडे से दस करोड रूपए रंगदारी मांगने का आरोप लगा है। शिकायत मिलने के बाद इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा कर रही है और रंगदारी का मामला शुरुआती जांच में सही पाया गया है। अब इस मामले के समाने आने के बाद पुलिस हेडक्वॉर्टर से लेकर सत्ता के गलियारे तक खलबली मची हुई है।
दरअसल ये कंपनी बिहार के गोपालगंज, सिवान और दरभंगा में शराब सप्लाई का काम करती है। कंपनी के प्रतिनिधि टुन्नाजी का आरोप है कि उनसे उमेश सिंह नाम का एक शख्स डीआईजी आलोक कुमार के नाम पर दस करोड़ रुपए मांग रहा था और उसने डीआईजी से 10 जनवरी को दोपहर में मिलवाया भी था। इसके बाद डीआईजी ने भला-बुरा कहते हुए पैसा नहीं देने पर खामियाजा भुगतने की धमकी दी। इसकी शिकायत टुन्नाजी ने बिहार के डीजीपी से की थी।
आईजी वेलफेयर अनुपमा एस निलेकर के मुताबिक टुन्नाजी से शिकायत मिली थी कि उनसे सारण के डीआईजी द्वारा पैसा मांगा गया है। इसे लेकर आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा ने तीन लोगों अजय दुबे, दीपक और उमेश सिंह को गिरफ्तार किया है। इन लोगों के पास से पांच लाख रुपए घर की तलाशी के दौरान मिले हैं। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि इस पूरे मामले में सारण के डीआईजी इस मामले में शामिल हैं। हांलाकि डीआईडी के खिलाफ अभी जांच चल रही है।
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