मॉरीशस के राष्ट्रपति राजकेश्वर पुरयाग के पूर्वजों के गांव लोग काफी उत्साहित हैं। रविवार को पुरयाग जब गांव देखने पहुंचेंगे तब ग्रामीणों ने उन्हें उपहार के तौर पर गांव की मिट्टी और धान की बाली देने का फैसला किया है। पटना जिले के पुनपुन प्रखंड के वाजितपुर गांव से राजकेश्वर पुरयाग के पूर्वज 19वीं सदी में मॉरीशस जा बसे थे। प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में भाग लेने के लिए पुरयाग इन दिनों भारत आए हुए हैं। जिले के एक अधिकारी खुर्शीद आलम ने शनिवार को बताया, "राजकेश्वर पुरयाग के वंश परिवार के सदस्यों समेत ग्रामीणों ने उन्हें गांव की मिट्टी देने का फैसला लिया है जिसे वे अपने साथ घर लेते जाएंगे।"
अधिकारी ने कहा कि ग्रामिणों ने मेहमान राष्ट्रपति को 'धान की बाली' भी देने का फैसला लिया है। इसके अलावा कुछ ग्रामिणों ने चांदी का स्मृतिचिन्ह देने के लिए चंदा भी किया है। गांव में रहने वाले राजकेश्वर पुरयाग के दूर के रिश्तेदार महेश महतो ने बताया कि गांव वाले 'माटी के लाल' को 'गांव की मिट्टी' उपहार में देंगे। बिहार के इस गांव में अभी उत्सवी माहौल है। महेश पत्थर तोड़ने की मजदूरी करते हैं।
जिले के एक अन्य अधिकारी सुशील कुमार ने कहा कि माहौल उत्सवी है और लोग व्यग्रता से मेहमान राष्ट्रपति की आगवानी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। राष्ट्रपति की यात्रा के मद्देनजर पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है। राजकेश्वर पुरयाग के पूर्वज गिरमिटिया मजदूर के रूप में कैरेबियाई द्वीप समूह के तत्कालीन ब्रिटिश उपनिवेश त्रिनिनाद एवं टोबेगो चले गए थे। पिछले साल जनवरी में त्रिनिनाद की पहली महिला राष्ट्रपति कमला प्रसाद बिसेसर ने बिहार के बक्सर जिले के इतराही स्थित अपने पूर्वजों के गांव भेलुपुर की यात्रा की थी। उसके पड़दादा राम लखन मिश्र 1889 में भेलपुर से विदेश चले गए थे।
करीब पांच साल पहले मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने राज्य के भोजपुर जिले में स्थित अपने पूर्वजों के गांव की यात्रा की थी। गन्ने और रबर की खेती में अनुबंधित मजदूर के रूप में मजदूरी करने के लिए बिहार से बड़ी संख्या में लोग मॉरीशस, फिजी, त्रिनिनाद, सुरिनाम, दक्षिण अफ्रीका और अन्य जगहों पर गए थे।
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