नई पीढ़ी के रचनाकार आनन्द हर्ष - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 23 जनवरी 2013

नई पीढ़ी के रचनाकार आनन्द हर्ष


जिनका सृजन देता है आनंद और हर्ष


जैसलमेर की साहित्य धाराओं के शताब्दियों से चले आ रहे साहित्य प्रवाह को अक्षुण्ण बनाए रखने तथा इसके मधुर कल नाद भरे वेग में उत्तरोत्तर नवीन धाराओं का समावेश करने में नई पीढ़़ी के रचनाकार भी पीछे नहीं हैं। इन रचनाधर्मियों ने साहित्य व संस्कृति-सरणियों में नवाचारों व नई विधाओं को आत्मसात किया तथा सम सामयिक माध्यमों का भरपूर उपयोग करते हुए जैसलमेर की साहित्यिक परंपराओं को परिपुष्ट करने में हर संभव सामथ्र्य का दिग्दर्शन कराया है।
      
गद्य और पद्य दोनों में दखल

जैसलमेर के एक संभ्रांत ब्राह्मण परिवार में श्री गुरुदत्त हर्ष के घर पर माता श्रीमती बल्लभकौर हर्ष की कोख से 23 जनवरी 1982 को जन्मे आनंद हर्ष का रचनाकर्म पद्य व व्यंग्य विधा पर विशेष रूप से केन्दि्रत है। सम-सामयिक विषयों पर उनके धारदार व्यंग्य और गुदगुदाने वाली पद्य रचनाएँ मुग्ध कर देने वाली हैं।
स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों एवं प्रादेशिक स्तर की पत्र-पत्रिकाओं, सामाजिक मुख पत्रिका ’पुष्करणा संदेश’, बीएड महाविद्यालयी वार्षिक पत्रिका आदि में उनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं वहीं रेडियो वार्ता में भी उनका खासा दखल रहा है।
      
नूतन विधाएं बनी आजीविका निर्वाह का जरिया

पारिवारिक संस्कारों की सुदृढ़ पृष्ठभूमि से युक्त आनंद ने आरंभिक से लेकर स्नातकोत्तर तक की शिक्षा-दीक्षा जैसलमेर में प्राप्त की। हिन्दी एवं राजनीति शास्त्र में स्नातक तथा राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि पाने के उपरांत उच्च शिक्षा के लिए जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय को चुना एवं मास्टर ऑफ कम्प्युटर एप्लीकेशन में डिग्री ग्रहण की। इसके बाद विभिन्न संस्थानों में शिक्षा देने के साथ-साथ प्रबंधन का कार्य भी किया जिसमें जोधुपर स्थित मैक्ग्राथ सॉफ्टैक प्राईवेट लिमिटेड में प्रोग्रामर (अक्टूबर 2007 से मई 2008), जैसलमेर में श्री लक्ष्मीनाथ बचत एवं साख सहकारी समिति लिमिटेड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (जुलाई 2008 से जुलाई 2009), स्थानीय एस.बी.के राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय में व्याख्याता-कम्यूटर (अगस्त 2009 से मार्च 2010) जिला स्तर पर महानरेगा योजनान्तर्गत एमआईएस मैनेजर (जून 2010 से जुलाई 2011) एवं वर्तमान में शैंगो टैक्नोलोजीज जोधपुर में प्रोग्रामर के पद पर कार्य करना प्रमुख है।
      
कम्प्यूटर विधाओं में सिद्धहस्त

कम्प्यूटर व इन्टरनेट के जमाने का पूरा-पूरा लाभ लेकर अपने रचना कर्म से देश-दुनिया में छा जाने की कोशिशों में जुटे रचनाकारों में आनंद हर्ष का नाम खास तौर पर लिया जाता है। कम्प्यूटर तकनीक में सिद्धहस्त हर्ष अपना काम खुद करने में विश्वास रखते हैं। कंप्यूटर पर टाईप कार्य के मामले में वे हिन्दी के साथ ही अंग्रेजी में न्यूनतम 55 शब्द प्रति मिनट की गति सीमा से टाईपिंग दक्षता रखते हैं। फेसबुक पर उनके आलेखों, कविताओं तथा विचारों को बहुत बड़ा पाठक वर्ग पसंद करता है। फेसबुक पर आपके आलेख दर्ज हैं वहीं नोट्स के रूप में भी फेसबुक पर उनकी टिप्पणियां सुधी पाठकों द्वारा सराहना पाती रही हैं।

हलचल मचाने में समर्थ हैं उनकी रचनाएं

आपके भीतर का रचनाकार कभी कविता उगलता है तो कभी आलेखों और निबंधों के स्वरूप में बाहर आकर हलचल मचाता है। उनके आलेखों में सम-सामयिक व राजनैतिक परिवेश की छाया का प्रभाव देखा जा सकता है। उनके सरल व  उदात्त व्यक्तित्व की ही तरह कविताएँ भी सहज, सरल व सुबोधगम्य होने के साथ ही कवि की बेबाक बयानी का बिम्ब भी दर्शाती हैं।
      
स्वान्तःसुखाय सृजन ही ध्येय

भारतीय काव्य जगत के मशहूर हस्ताक्षर स्व. हरिवंशराय बच्चन को अपना आदर्श मानने वाले आनंद हर्ष ‘स्वान्तः सुखाय‘ की डगर को पसंद करने वाले रचनाकार हैं जिनके रचनाकर्म का यही ध्येय है- ‘त्वदीयं वस्तु गोविन्द् तुम्यमेव समर्पये‘।
      
लेखन के प्रति रुझान शुरू से

उनकी प्रमुख कविताएँ हैं - यादें अतीत का आईना, ईश्वर मिल गया मुझको, बापू बना महात्मा, बगिया में वो पुष्प खिला, लग रहा है बट्टा, इस्तीफे की सरकार, इंतजार हूं...... और मैं झूठ बोलना सीख गया, फिर भी याद ना होेते पहाड़े, यादों का संचय, देशी महंगा-स्वदेशी सस्ता, शर्मा जी की स्पेशल चाय इत्यादि। इसी प्रकार उनके हिन्दी व अंग्रेजी आलेखों में शिक्षा का अवसान, कारतूस प्रकरण,  आपकी राय, नैमीचंद जैन, भावभीनी श्रद्धांजलि, नो वन इज लाइक सचिन, सचिन इज द गॉड ऑफ क्रिकेट, भारतीय प्रयास और विश्व शक्तियोें की नीतियाँ, व्हाट मिन्स पोक इन फेसबुक इत्यादि शामिल हैं।
      
बेबाक बयानी के लिए जाने जाते हैं हर्ष

अपने लेख की शुरूआत हर्ष ने स्थानीय अखबारों में राजनैतिक आयामों से जुड़े समीक्षात्मक विचारों के प्रस्तुतिकरण व आलेखों से की। अपने समाज की मुख पत्रिका ‘पुष्करणा संदेश‘ में भी सामाजिक चेतना परक कविताएं व आलेख प्रकाशित हुए। बिना किसी लाग लपेट या आवरण के सीधे सादे शब्दों में आबद्ध उनकी काव्य रचनाएँ बेहद प्रभाव छोड़ने वाली होती हैं। ख़ासकर हास्य व व्यंग्य प्रधान उनकी रचनाएँ रोचक होने के साथ ही विचारोत्तेजक होती हैं।
      
पत्र लेखन विधा में माहिर

साहित्यिक-सांस्कृतिक व सामाजिक आयोजनों में हर्ष की किसी न किसी रूप में भागीदारी जरूर देखी जा सकती है। उनकी सर्वाधिक चर्चित विधा है- पत्र लेखन। छोटे-बड़े सभी प्रकार के पत्रों में सम सामयिक विषयों पर उनके विचारोत्तेजक एवं सारगर्भित पत्रों का प्रकाशन होता ही रहता है। आकाशवाणी से भी उनकी वार्ताओं का प्रसारण हो चुका है।
      
रंगकर्म में भी खासा दखल

रंगमंचीय गतिविधियों में रुचि रखने वाले आनंद हर्ष ने राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर और संस्कार भारती जोधपुर के तीन दिवसीय नाट्य शिविर में भी प्रशिक्षण पाया है। कहानी विद्या में उनकी वृहत पुस्तक प्रकाशनाधीन है। नई तकनीक व कला का सामंजस्य दर्शाने वाले हर्ष लाचू कॉलेज द्वारा वर्ष 2007 में आयोजित ‘कारपेडियम‘ में डिजीटल रंगोली में प्रथम स्थान पर रहने का खिताब पा चुके हैं। साहित्य क्षेत्र की अपार संभावनाओं से भरे आनंद हर्ष का कृतित्व और व्यक्तित्व हर किसी को आनंद व हर्ष की सहज अनुभूति कराने वाला है।


(डॉ. दीपक आचार्य)
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी,
जैसलमेर-345001 (राजस्थान)
E mail : dr.deepakaacharya@gmail.com

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