केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने बुधवार को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2012 के विजेताओं को अपनी शुभकामनाएं दीं। बच्चों और उनके माता-पिता को बधाई देते हुए तीरथ ने कहा कि बच्चों की यह अदम्य भावना उन्हें भविष्य में राह दिखाने वाला प्रकाशपुंज बनाती है। उन्होंने कहा कि साधारण वातावरण और परिस्थितियों में दिखाई गयी बहादुरी इन बच्चों को विशिष्ट बना चुकी है। कृष्णा ने कहा कि ये बच्चे अन्य के लिए भी प्रेरणा स्रोत्र बन चुके हैं।
कृष्णा तीरथ ने कहा कि यह आवश्यक है कि बच्चों को देश के एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए बचपन से ही प्रेरित किया जाए। उन्होंने कहा कि सामाजिक संदेशों को ले जाने और सामाजिक बुराइयों को मिटाने के लिए बच्चे ही सही संदेशवाहक होते हैं। देश में बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करने के क्रम में यह महत्वपूर्ण है कि समाज की मानसिकता में बदलाव लाया जाये।
पुरस्कार प्राप्त करने वाले 22 बच्चों में 18 लड़के और 4 लड़कियां हैं। इनमें से कुछ ने बच्चों और बुजर्गों को डूबने से बचाया है। कुछ ने अपने साथियों और परिवार के सदस्यों को अग्नि, डकैती और चोरों के हाथों मारे जाने से बचाया है। एक लड़की ने अपनी छोटी बहन की चीते के पंजों से रक्षा की और दूसरी ने बाल विवाह से बचने के लिए अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। एक बहादुर बच्चे की कुछ अन्य बच्चों को डूबने से बचाने के दौरान मृत्यु हो गयी।
इस अवसर पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पाने वाले बच्चों के साथ उनके माता-पिता और परिजन उपस्थित थे। इसके अलावा महिला और बाल विकास मंत्रालय, आईसीसीडब्ल्यू, एनसीपीसीआर और एनआईपीसीसीडी के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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