नेपाली कांग्रेस के नेता सुशील कोइराला ने चेतावनी दी कि यदि नेपाल में माओवादी सत्ता हथियाने के अपने प्रयास में ‘येन-केन प्रकारेण’ सफल हो जाते हैं तो यह देश भारत के नक्सलियों के उर्वर जमीन बन जाएगा। नक्सलियों की चांदी हो जाएगी। उन्होंने आशंका जताई है कि नेपाल में माओवादी किसी भी कीमत पर सत्ता पर काबिज होने की फिराक में हैं।
उनका कहना है कि नेपाल में माओवादियों की सरकार बनना भारत के हित में नहीं होगा। माओवादियों की सरकार बनने पर नेपाल भारतीय नक्सलियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन जाएगा और यहां से उन्हें खुली मदद मिलेगी। नेपाल में व्याप्त सियासी संकट पर कोइराला ने कहा, 'माओवादियों का चुनाव कराने का कोई इरादा नहीं है। वे सरकार में ज्यादा से ज्यादा दिनों तक बने रहने की फिराक में हैं। वे देश के संविधान के निर्माण को लेकर भी गंभीर नहीं हैं।' ध्यान रहे कि नए संविधान के निर्माण और कामचलाऊ राष्ट्रीय सरकार के गठन को लेकर सत्ताधारी माओवादियों और नेपाली कांग्रेस के बीच काफी दिनों से तनातनी चल रही है।
सुशील कोइराला के अनुसार, माओवादी लोकतंत्र और मानवाधिकार का मजाक उड़ा रहे हैं। वे उन सभी लोगों को आम माफी देने की कोशिश में हैं, जिन्होंने दशकों तक जारी गृह युद्ध के दौरान आम लोगों पर अमानवीय जुल्म ढाया है। उनका कहना था कि नेपाली कांग्रेस माओवादियों की साजिश को सफल नहीं होने देगी। विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के साझा उम्मीदवार कोइराला ने कहा कि माओवादियों के कारण वर्तमान में नेपाल की संप्रभुता और लोकतंत्र दोनों ही खतरे में हैं। इनका सरकार में आना भारत और चीन दोनों के लिए ठीक नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि संविधान का निर्माण नहीं हो पाने के कारण नेपाल में संविधान सभा पिछले वर्ष 27 मई से भंग है। प्रमुख सियासी दलों के बीच आम राय नहीं बन पाने के कारण राष्ट्रीय सरकार का गठन भी नहीं हो पा रहा है और न ही माओवादी प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई का विकल्प तलाशा जा सका है। इस कारण आम चुनाव का मामला भी लटका हुआ है। 15 विपक्षी दलों ने सुशील कोइराला का नाम प्रस्तावित किया है, लेकिन माओवादियों को यह स्वीकार्य नहीं है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें