चीन भारत के साथ रिश्तों को महत्व देगा. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 15 जनवरी 2013

चीन भारत के साथ रिश्तों को महत्व देगा.


चीन के नए नेता शी चिनपिंग ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आश्वासन दिया है कि बीजिंग भारत के साथ रिश्तों के विकास को अत्यधिक महत्व देगा क्योंकि द्विपक्षीय सहयोग दोनों देशों के लोगों के लिए काफी लाभकारी हैं। शी ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है ‘जैसा कि चीन करता रहा है, आगे भी भारत के साथ रिश्तों के विकास को वह अत्यधिक महत्व देगा और उसे द्विपक्षीय संबंधों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए भारत के साथ करीबी सहयोग की आकांक्षा है।’ यह पत्र सिंह को 11 जनवरी को शीर्ष चीनी राजनयिक दाई बिंगो ने नई दिल्ली में दिया।

सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने शी को यह कहते हुए उद्धृत किया है ‘चीन भारत संबंधों में बीते कुछ बरसों में लगभग स्थिरता रही है जिससे दोनों देशों और उनकी जनता को लाभ हुआ है।’ उन्होंने कहा कि चीन और भारत के समान विकास के लिए दुनिया में पर्याप्त गुंजाइश है और दुनिया को भी समान विकास की जरूरत है।

नई दिल्ली में पिछले सप्ताह ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की बैठक हुई थी। इसी सिलसिले में भारत चीन सीमा वार्ता के प्रमुख वार्ताकार दाई बिंगो नई दिल्ली आए थे। समझा जाता है कि शी का यह पत्र सिंह के उस पत्र के जवाब में था जो सिंह ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के महासचिव पद पर शी के निर्वाचन और हू जिंताओ का उत्तराधिकारी बनने के बाद लिखा था।

सिंह ने अपने पत्र में नए चीनी नेतृत्व को बधाई दी थी। साथ ही उन्होंने दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने का आश्वासन भी दिया था। सिंह का यह पत्र राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने पिछले माह बीजिंग यात्रा के दौरान शी को सौंपा था। दाई स्टेट काउंसिलर और शीर्ष राजनयिक के पद से सेवानिवृत्त हो जाएंगे। करीब एक दशक तक इस पद पर रहते हुए उन्होंने मेनन और उनके कई पूर्ववर्तियों के साथ 15 दौर की बातचीत की।

सिंह के साथ बैठक में दाई ने कहा कि पिछले दस साल में चीन और भारत के द्विपक्षीय संबंधों में कई बड़े घटनाक्रम हुए हैं। दोनों देशों ने अपने विवादों तथा मतभेदों को काबू में रखा और द्विपक्षीय संबंधों को विकास की ओर अग्रसर किया। इसके साथ ही दोनों देशों ने सह अस्तित्व के मित्रतापूर्ण संबंधों को बनाए रखने का तरीका भी खोजा। दाई ने कहा कि अगले पांच से दस साल में चीन और भारत के सामने अपने संबंधों के विकास के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अवसर आएंगे। उन्होंने दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बने रहने की उम्मीद जाहिर की और यह भरोसा भी जताया कि दोनों देशों के नेताओं के मार्गदर्शन में चीन भारत संबंधों का अच्छी तरह विकास होगा।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…


CHINA IS NOT A FOOL COUNTRY LIKE INDIA , HE SAYS THAT OUR RELATIONS WILL GO ON AS USUAL . HE WILL STOP THE WATER OF RIVER BRAMHAPUTRA ,
HE WILL THREW THE LOW QUALITY PRODUCTION in INDIAN MARKET , HE WILL CONTINUE SUPPORT PAKISTAN against INDIA , HE WILL TAKE OUR THE LAND OF INDIA in PARTS time to time . THESE ALL BECAUSE OF OUR POLITICIANS TOTALLY CARELESS / SLEEPING LIKE SHUTURMURG . AT PRESENT WHEN DELHI GANG RAP , PAK ATTACK on OUR ARMY are the major issues STANDS WITH OPEN MOUTH and our Dy. PRESIDENT of INDIA WENT TO VIATNAM our F M : KURSEED WENT TO BHUTAN . WE ASK WHAT INTEREST IS THEIR , When COUNTRY IS IN CRISIS but BOTH MUSLIM LEADERS ...in FOREIGN , THEY ARE NOT SERIOUS ABOUT INDIAN PROBLEMS ....