डीएससी जयपुर साहित्य महोत्सव के अवसर पर 25 जनवरी को 'साहित्य में बुद्ध' विषय पर चर्चा के दौरान मौजूद रहेंगे। महोत्सव में पहली बार बौद्ध विचारधारा पर एक विशेष सत्र का आयोजन रखा गया है जिसके दौरान इस मत का जीवनशैली, साहित्य, कला और संस्कृति पर प्रभाव की चर्चा की जाएगी। इससे पहले सूफी मत और भक्ति आंदोलन को महोत्सव में चर्चा का विषय बनाया जा चुका है। जयपुर के दिग्गी पैलेस में महोत्सव 24 जनवरी से शुरू होगा।
महोत्सव आयोजन समिति की ओर से जारी एक बयान में दलाई लामा के हवाले से कहा गया है, ''साहित्य ने मेरे जीवन में एक बड़ी भूमिका निभाई है। बचपन से ही मेरे लिए अध्ययन का विशेष महत्व रहा है और मैं अक्सर प्राचीनकाल के उन विद्वानों की असीम दया को याद किया करता हूं जिन्होंने बड़ी मात्रा में बौद्ध साहित्य का तिब्बती में अनुवाद प्रस्तुत किया।''
दलाई लामा ने कहा है कि वे जयपुर साहित्य महोत्सव में भाग लने और आज के दौर के लेखकों अध्यवसायियों से मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। महोत्सव की सह निर्देशक नमिता गोखले ने कहा, ''बुद्ध का मानवता पर प्रभाव धर्म और धर्मशास्त्र की परिधि से परे है। संपूर्ण एशियाई समुदाय, मध्य एशिया और अफगानिस्तान से लेकर चीन जापान तक बौद्धवादी दर्शन से गहरे अभिभूत है।'' उन्होंने कहा कि आज दुनिया के कई लोगों के लिए बौद्धवाद एक जीवनशैली है। जागरूकता की आंतरिक यात्राा और व्यक्तिगत उन्नयन की प्रतिछवि बौद्धवादी साहित्य, कला और सांस्कृतिक परंपराओं में दृष्टिगत होती है। 'साहित्य में बुद्ध' पर समर्पित हमारा सत्र बुद्ध के द्वारा दृष्टि और ज्ञान ग्रहण करने के मार्ग को समर्पित होगा।
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