विवाह मात्र सामाजिक समझौता है : भागवत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 6 जनवरी 2013

विवाह मात्र सामाजिक समझौता है : भागवत


मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि विवाह एक सामाजिक समझौता (सोशल कांट्रैक्ट) है। यह तब तक चलता है जब तक दोनों पक्षों के बीच सामंजस्य रहता है। भागवत ने इंदौर में शनिवार को एक कार्यक्रम में वैवाहिक संस्कार की अपनी अलग व्याख्या की। उन्होंने कहा, "विवाह एक सामाजिक समझौता है। यह 'थ्योरी ऑफ सोशल कांट्रैक्ट' है, जिसके तहत पति-पत्नी के बीच सौदा होता है, भले ही लोग इसे वैवाहिक संस्कार कहते हैं।"

उन्होंने कहा कि यह ऐसा सौदा है, जिसमें पत्नी से कहा जाता है, "तुम घर चलाओ और मुझे सुख दो।" वहीं पति पेट का इंतजाम और सुरक्षा की गारंटी लेता है। जब तक पति-पत्नी शर्तो का पालन करते हैं तब तक रिश्ता ठीक ठाक चलता है।

ज्ञात हो कि दो दिन पहले भागवत ने भारत और इंडिया को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत में कम और इंडिया में अधिक बलात्कार होते हैं। भागवत के इस बयान पर खूब बहस हुई थी।

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