भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष व सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू ने कहा है कि पीसीआई के दायरे में इलेक्ट्रानिक मीडिया को लाकर मीडिया काउंसिल का गठन किया जाना चाहिए। जबलपुर प्रवास पर आए काटजू ने शुक्रवार को संवाददाताओं से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि पीसीआई के दायरे में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को लाकर मीडिया काउंसिल का गठन किया जाए, जिसमें 20-20 सदस्य प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के होने चाहिए तथा कुल सदस्यों की संख्या 48 होनी चाहिए। लोकतंत्र में सभी की जिम्मेदारी होती है, तो मीडिया भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है।
उन्होंने कहा कि यूरोप में मीडिया के उदय की चर्चा करते हुए कहा कि इस समय हमारा देश भी संक्रामक काल से गुजर रहा है। पुरानी व्यवस्थाओं को उखाड़ने और नई व्यवस्था स्थापित करने का समय बड़ा कष्टदायक होता है। संक्रामक काल में विचारों की भूमिका अहम होती है, इसलिए मीडिया की भूमिका अहम हो जाती है। काजटू ने कहा कि जनता की मदद करना व उनके हक के लिए आवाज बुलंद करना मीडिया का कर्तव्य है। देश में 80 प्रतिशत लोग गरीब हैं, जिनके पास उपचार कराने व दवा खरीदने तक के पैसे नहीं है। हर दूसरे बच्चे को आधा पेट भोजन मिल रहा है। अफ्रीका के गरीब देश में 24 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं, जबकि हमारे देश में यह दर 48 प्रतिशत है। बेरोजगारी, गरीबी व महंगाई हमारे लिए चुनौती है।
उन्होंने कहा, "मीडिया के एक वर्ग का आरोप है कि मैं उनकी आजादी छीनना चाहता हूं। कर्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी की बात हो या फेसबुक में मुम्बई बंद पर की गई टिप्पणी में गिरफ्तारी का मामला, मैंने आवाज उठाई। पीसीआई के अध्यक्ष बनने के बाद प्रधानमंत्री व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज से हुई मुलाकात के दौरान मैने एक्ट में संशोधन की बात कही थी।" उन्होंने कहा, "प्रेस एक्ट 1966 का है, उस समय टेलीविजन नहीं था। मेरी मांग थी कि पीसीआई के दायरे में इलेक्टॉनिक मीडिया को भी लाया जाए। इसके अलावा पीसीआई को शिकायत पर कार्रवाई करते हुए संबंधित मीडिया के खिलाफ जुर्माना लगाने व लाइसेंस रद्द करने का अधिकार भी प्रदान किया जाना चाहिए।"
काटजू ने आगे कहा कि पीसीआई में 28 सदस्य होते हैं, जिसमें से 20 सदस्य मीडिया जगत के होते है। पीसीआई में बहुमत के आधार पर फैसला लिया जाता है। "मेरा प्रस्ताव है कि पीसीआई के दायरे में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को लाकर मीडिया काउंसिल का गठन किया जाए, जिसमें 20-20 सदस्य प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के होने चाहिए तथा कुल सदस्यों की संख्या 48 होनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि जिस तरह उच्च न्यायालय बार काउंसिल कदाचार के मामले में दोषी अधिवक्ताओं को दंडित करता है, उसी तरह मीडिया काउंसिल भी शिकायत मिलने पर कार्रवाई करे। मीडिया के लोग ही मीडियाकर्मियों पर नियंत्रण रखे, सरकार व पीसीआई नहीं।
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