खबरें हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी यानि वास्तविक नियंत्रण के मेंढर इलाके में भारत का मोस्ट वांटेड आतंकवादी देखा गया। लश्कर-ए-तैयबा का मुखिया हाफिज सईद का क्या भारतीय फौजियों पर घात लगाकर किए गए इस हमले में हाथ है। मेंढर में भारतीय सेना पर हमले यानि आठ जनवरी से एक हफ्ते पहले हाफिज सईद नियंत्रण रेखा पर गया था। वो उन पाकिस्तानी इलाकों में देखा गया था जो जम्मू के पुंछ इलाके से सटी हुई हैं।
हाफिज की मौजूदगी अहम है क्योंकि उसे लश्कर की बॉर्डर एक्शन टीम के साथ देखा गया था। आखिर क्या है ये टीम, माना जाता है कि बॉर्डर एक्शन टीम कागजों में पाकिस्तानी फौज की यूनिट है लेकिन इसमें आतंकवादी भी शामिल हैं और इसी टीम को मजबूत करने के इरादे से हाफिज सईद एलओसी के तमाम इलाकों में आताजाता रहता है। समझा जा रहा है कि भारतीय इलाके में घुसपैठ कर गश्ती दल पर हमला करना इसी टीम का काम है। हालांकि शुरू में शक पाकिस्तान की 29 बलूच यूनिट पर जताया गया था। लेकिन सूत्रों का कहना है कि बॉर्डर एक्शन टीम को एलओसी में गोलीबारी करना और पूरे इलाके की टोह लेने के लिए ही खास तौर पर खड़ा किया गया है। ये काले लबादे पहनते हैं और लबादे में ही हथियार भी छिपाते हैं।
सूत्रों के अनुसार तीन जनवरी को जम्मू के मेंढर इलाके के लश्कर कमांडर सैफुल रहमान कादरी और उस्मान बेन अजहर ने हाफिज सईद से लंबी बातचीत भी की थी। फिलहाल सेना इनकी तलाश कर रही है। सवाल ये है कि अगर खबर सच है तो ये साजिश रची क्यों गई। इसका जवाब छिपा है पुंछ के घने जंगल और पहाड़ों से घिरे दुर्गम मेंढर इलाके में। सर्दियों में यहां घना कोहरा रहता है, बर्फ से पहाड़ियां ढंक जाती हैं। नियंत्रण रेखा के आसपास भारतीय सैनिकों की चौकसी तो है। लेकिन सीमा पर कई गांव होने की वजह से हर कोने की निगरानी काफी मुश्किल है। पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ का सबसे मुफीद वक्त यही है। शायद इसलिए खुफिया सुत्रों के मुताबिक पिछले साल नवंबर के बाद से 117 आतंकी भारतीय सीमा में दाखिल हो चुके हैं। सूत्रों की माने तो महज 11 दिनों में ही भारतीय सेना ने घुसपैठ की 10 कोशिशों को नाकाम किया है। बताया गया है कि इन संदेशों में पाकिस्तानी फौजी भारत में घुसकर किए गए हमले पर खुशी जाहिर करते सुने गए हैं, वो एक दूसरे को बधाई दे रहे थे।
मेंढर और पुंछ के कई इलाकों में रह-रहकर भारत और पाकिस्तान के बीच फायरिंग जारी है। पाकिस्तान ने अपने एक और फौजी के मारे जाने का दावा भी किया है। पाकिस्तान को आतंक की पनाहगाह माना जाता रहा है, ये भी कहा जाता रहा है कि अकेले एलओसी में ही आतंकवादियों के 34 ट्रेनिंग कैंप अब भी चल रहे हैं। ऐसे में लश्कर के मुखिया हाफिज सईद का सरहद के इतने करीब आना साफ करता है। पाकिस्तानी फौज की भूमिका शक के घेरे में है, आतंकवादियों के साथ उसके नापाक गठजोड़ फिर सामने आने लगा है। दोनों देशों के रिश्तों पर ये गठजोड़ भारी पड़ सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें