भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव को लगता है कि वर्ष 2011 में विश्व कप जीतने के बाद से महेंद्र सिंह धौनी और टीम के कुछ अन्य खिलाड़ी लापरवाह हो गए हैं और खिलाड़ी टीम से अधिक निजी स्वार्थ को अहमियत दे रहे हैं। वर्ष 1983 में विश्व कप विजेता भारतीय टीम का नेतृत्व करने वाले कपिल ने कहा, "मुझे लगता हैं कि विश्व कप जीतने के बाद, वे (महेंद्र सिंह धौनी और टीम के अन्य खिलाड़ी) लापरवाह हो गए है। मैं समझता हूं कि खिलाड़ी आत्मलीन रहते हैं।"
कपिल की ओर से यह टिप्पणी ऐसे समय में आई हैं, जब भारतीय टीम का बीते 12 महीनों से लचर प्रदर्शन जारी है। महान हरफनमौला खिलाड़ी को यह भी लगता है कि धौनी की अगुवाई वाली टीम में टीम भावना की कमी है। कपिल ने शुक्रवार देर शाम यहां एक पुरस्कार समारोह में कहा, "अब सभी खिलाड़ियों के पास अपने निजी कोच, चिकित्सक और ट्रेनर हैं। खिलाड़ियों में टीम भावना की कमी है। कई बार मैं देखता हूं कि वे अपना काम पूरा होने के बाद फाइन लेग पर खड़े होने के इच्छुक रहते हैं। आखिरकार अगर आपको जीतना है, तो आपको टीम की तरह जीतना होगा।"
यहां तक कि कपिल ने भारतीय टीम के कोच डंकन फ्लेचर को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा, " 'कोच' शब्द को लेकर गलतफहमी है। यह पूर्णत: मानव प्रबंधन के बारे में है। मेरे लिए कोच एक ऐसा इंसान है, जो मुझे खेल के बारे में बताएगा। टीम में साथ खेलने वाले साथी आपको यह बता सकते हैं कि आप कहा गलती कर रहे हैं।"
कपिल ने यह भी कहा कि भाषाई समस्याओं के कारण विदेशी कोचों के लिए यहां की टीम को प्रशिक्षण देना मुश्किल कार्य होता है। "विदेशी कोचों के लिए भाषा सबसे बड़ी समस्या रहती है। मैं स्वदेशी कोचों का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। मैं समझता हूं कि सौरव गांगुली ने विदेशी कोच को बुलाकर सही कार्य नहीं किया था और उन्होंने यह चलन चला दिया।"
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