सीमाओं पर तैयारी के मामले में कोई समझौता नहीं, - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

सीमाओं पर तैयारी के मामले में कोई समझौता नहीं,


जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा दो भारतीय जवानों की हत्या करने के बाद उपजे तनाव के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि सीमाओं पर तैयारी के मामले में कोई समझौता नहीं हो सकता। उन्होंने पाकिस्तान सहित भारत के सभी पड़ोसी देशों से अच्छे रिश्ते बनाने की बात करने के साथ ही आगाह किया कि हम आतंकवाद से निपटने और सीमाओं पर खतरे से निपटने की सावधानी और तैयारी के मामले में कोई समझोता नहीं करेंगे।

 जयपुर में कांग्रेस के दो दिवसीय चिन्तन शिविर में सोनिया ने कहा कि अपने पड़ोसी देशों से बेहतर और नजदीकी रिश्ते बनाने से न सिर्फ इस क्षेत्र में शांति रहेगी, बल्कि हमारे सीमावर्ती राज्यों पर भी अनुकूल असर पड़ेगा। लेकिन हमें स्पष्ट रहना है। हमारा संवाद सैद्धांतिक और स्वीकृत सभ्य व्यवहार पर आधारित होना चाहिए।

हाल ही में पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा नियंत्रण रेखा के पास दो भारतीय सैनिकों की हत्या करने और उनमें से एक का सिर धड़ से अलग किए जाने के बर्बर कृत्य के संदर्भ में उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों से अच्छे रिश्ते बनाने की प्रक्रिया में हम आतंकवाद से निपटने और सीमाओं पर खतरे से निपटने की सावधानी और तैयारी के मामले में कोई समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति का हमेशा एक व्यापक दृष्टिकोण रहा है। एक ऐसा दृष्टिकोण जिससे हमारा देश दुनिया पर अपना बेमिसाल प्रभाव डाले और अंतरराष्ट्रीय मामलों में श्रेष्ठ जगह पाये।

सोनिया ने कहा कि वह स्थान और प्रभाव हम तभी बढ़ा सकते हैं, जब हम सफलतापूर्वक गरीबी पर काबू पायें, अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर बनायें, अपने धर्म निरपेक्ष मूल्यों को और गहरा करें, लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूती दें तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सकारात्मक संबंध और बढ़ायें। सोनिया ने कहा कि एकता बड़ी बड़ी बातों का ऐलान करने से नहीं आती। ये हमारे भीतर से आनी चाहिए। हमारे इस महान संगठन का हर एक कार्यकर्ता आज एकता के लिए परेशान है और हमारा फर्ज बनता है कि हम उसकी यह मांग पूरी करें।

उन्होंने कहा कि हमें सभी स्तरों पर नेतृत्व का विकास करना है। ऐसा नेतृत्व जो प्रभावी हो, आगे बढ़ने से न डरे और लोगों की आकांक्षाओं और सरोकारों से जुड़े मुद्दों को जोर शोर से उठाए। पार्टी में अच्छा काम करने वालों को अपने काम के बल पर ऊपर बढ़ने के अवसर मिलने चाहिए, किसी की छत्रछाया में नहीं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जयपुर का ये शिविर पंचमढ़ी और शिमला में हुई बैठकों से दो तरह से अलग है। पहली बात तो ये कि हम एक ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब हम केन्द्र में करीब नौ साल से सरकार में हैं। इसी तरह इस समय हम कई राज्यों में सरकार में नहीं हैं और ऐसे कई राज्यों में कड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जो हमारे पुराने गढ़ माने जाते हैं। दूसरी बात ये कि पिछले नौ साल में भारी आर्थिक विकास, सामाजिक बदलाव और तकनीकी की नयी खोज सामने आयी हैं। नयी अपेक्षाओं की लहर दिखाई दे रही है। इसके लिए नयी जवाबदेही की जरूरत है।

शिविर में इस बार बड़ी संख्या में युवाओं की शिरकत पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि इस शिविर में एक और नया आयाम भी साफ दिखायी दे रहा है। यहां हिस्सा लेने वालों में अच्छी खासी संख्या नयी पीढ़ी के प्रतिनिधियों की है। इसमें हमारी प्राथमिकता और देश की आबादी के बदले स्वरूप और उसमें युवाओं की सही तस्वीर मिलती है।

कांग्रेस को केन्द्र सहित कई राज्यों में मिल रही चुनौतियों पर सोनिया ने कहा कि वैसे हम अब भी देश की सबसे प्रमुख राजनीतिक शक्ति हैं, लेकिन हमें ये भी स्वीकार करना चाहिए कि हमारे सामने मुकाबला कड़ा है और जो परंपरा से हमारे समर्थन के क्षेत्र थे, वहां दूसरों ने भी अपनी जगह बनायी है। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में हम लंबे अरसे से सरकार से बाहर हैं लेकिन, मैं मानती हूं कि सिर्फ सत्ता में बने रहना ही हमारी राजनीति का कुल मकसद नहीं है, फिर भी इसका उलटा असर हमारे मनोबल और संगठन पर पड़ता ही है।
गठबंधन के बारे में सोनिया ने कहा कि जिन राज्यों में हमारे गठबंधन हैं, वहां हमें गठबंधन की भावना और पार्टी की दृढ़ता के बीच संतुलन बनाकर चलना है, ताकि संगठन को अधिक ऊर्जा मिल सके।

भ्रष्टाचार का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे नागरिक सार्वजनिक जीवन के ऊंचे स्तर पर भ्रष्टाचार देखकर जायज तौर पर आजिज आ गये हैं। उन्होंने कहा कि यह ठीक ही है कि रोजमर्रा की जिन्दगी में फैले भ्रष्टाचार से तंग हैं। ये एक हकीकत है, एक मंथन है, इसे हमें समझना चाहिए। इसका हल निकालकर जवाब देना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ये कैसे हो सकता है कि हम अपने बढ़ते हुए शिक्षित और मध्य वर्ग को भ्रमित होकर राजनीतिक प्रक्रिया से कटकर अलग थलग होने दें। उन्होंने सभी प्रतिनिधियों से कहा कि वे शिविर में साफ साफ और खुलकर अपनी बातें रखें, क्योंकि हम यहां गंभीर चिन्तन के लिए आये हैं, जिससे हमारा भविष्य तय होगा। जब हम यहां से जाएं तो हमारे सामने एक स्पष्ट और पूरा लक्ष्य होना चाहिए। हमें यहां से नयी ऊर्जा और ताकत के साथ जाना है और सीधे काम में जुट जाना है।

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