कर्ज में डूबी विमानन कम्पनी किंगफिशर एयरलाइंस को मौजूदा कारोबारी साल की तीसरी तिमाही में 755 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ। विमानन कम्पनी को श्रमिक समस्या के कारण उड़ानों का संचालन रोकना पड़ा था और इसके बाद अक्टूबर 2012 में इसके उड़ान लाइसेंस को निलम्बित कर दिया गया था। विमानन कम्पनी के लेखापरीक्षक बी.के. रामध्यानी एंड कम्पनी ने कहा कि यदि विमानन कम्पनी भारत में जारी लेखा मानकों का उपयोग करती तो उसका नुकसान 1,090 करोड़ रुपये का होता है।
बम्बई स्टॉक एक्सचेंज में दी गई सूचना के मुताबिक कम्पनी ने समीक्षाधीन अवधि में 401 करोड़ रुपये का वित्तीय खर्च उठाया और विमानों के पट्टे पर 182 करोड़ रुपये खर्च किए। दोपहर में बम्बई स्टॉक एक्सचेंज में कम्पनी के शेयर 2.71 फीसदी गिरावट के साथ 12.20 रुपये पर कारोबार करते देखे गए। कम्पनी पर फिलहाल बैंकों, विमान लीजिंग कम्पनियों, हवाईअड्डा संचालकों, तेल विपणन कम्पनियों तथा अन्य आपूर्तिकर्ताओं के लगभग 8,000 करोड़ रुपये बकाया होने का अनुमान है।
विमानन कम्पनी अपने कर्मचारियों को भी कई महीने से बकाए का भुगतान नहीं कर पाई है। कम्पनी ने शेयर बाजार को दी गई सूचना में कहा है कि उड़ान लाइसेंस फिर से हासिल करने के लिए और उड़ानों का संचालन फिर से शुरू करने के लिए नियामकीय शर्तो को पूरा करने में इसने उल्लेखनीय प्रगति की है।
कम्पनी का लाइसेंस 20 अक्टूबर 2012 को निलम्बित कर दिया गया था। इससे पहले कर्मचारियों की हड़ाल के कारण उड़ानों का संचालन ठप्प हो गया था। लाइसेंस औपचारिक रूप से 31 दिसम्बर 2012 को निरस्त हो गया और कम्पनी द्वारा संचालन फिर से शुरू करने की योजना भी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने इस बिना पर रद्द कर दी कि इसमें ठोस विवरण मौजूद नहीं थे। विजय माल्या इस कम्पनी के प्रमोटर हैं। कम्पनी दो सालों में अपना लाइसेंस फिर से नया कर सकती है।
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