शिक्षकों का मानक स्तरीय नहीं होने पर अफसोस जताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र की प्रमुख चिंताओं को दूर किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर के बाद स्कूल छोड़ने की दर काफी अधिक है. समानता से जुड़ी कुछ प्रमुख चिंताओं को भी दूर करने की जरूरत है.
प्रधानमंत्री ने एक दिन पहले भी इस बात पर अफसोस जताया था कि विश्व के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में एक भी भारतीय संस्थान नहीं हैं. उन्होंने कहा था कि अब गुणवत्ता में सुधार पर विशेष जोर दिया जाएगा. केंद्रीय विद्यालय संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा यह पहचान की है कि अगर अपने नागरिकों की पहुंच बेहतर गुणवत्ता वाली शिक्षा तक हो तो भारत एक आधुनिक,खुशहाल और प्रगतिशील राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आ सकता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जानते हैं कि हमारा देश युवा देश है और हम अपनी आबादी का लाभ तभी उठा सकते हैं जब हमारे पास शिक्षा और दक्ष श्रमशक्ति हो जिससे अर्थव्यवस्था के विस्तार में मदद मिलेगी और यह अधिक उत्पादक हो सकेगी.
प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय अपने आसपास स्थित स्कूलों के मानक तय करने में काफी मदद दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि 12वीं योजना में ऐसी परिकल्पना की गयी है. उन्होंने कहा कि उन्हें पड़ोस के स्कूलों के लिए आदर्श के रूप में काम करना चाहिए. उन्होंने इन उम्मीदों को पूरा करने के लिए केवीएस व्यवस्था से तौर तरीके खोजने का आह्वान किया. सिंह ने कहा कि जब से संप्रग सरकार सत्ता में आयी है, उसने शिक्षा पर विशेष ध्यान देते हुए इस क्षेत्र में अभूतपूर्व स्तर पर निवेश किया है. उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने शिक्षा तक पहुंच में तेजी से विस्तार किया है. उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार ने शिक्षण गुणवत्ता में सुधार के लिए काम किया है ताकि शिक्षा के बेहतर नतीजे निकल सकें.
मनमोहन सिंह ने कहा कि हमने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि देश के कम विकसित क्षेत्रों और समाज के कमजोर तबकों के छात्रों की पहुंच शिक्षण संस्थानों तक हो सके. उन्होंने केवीएस के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि इसका 50 सालों का सफर काफी अच्छा रहा है और इसने राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में बेहतरीन योगदान किया है.
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