राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की अध्यक्ष शांता सिन्हा ने गुरुवार को कहा कि वह दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म के किशोर आरोपी को मौत की सजा देने की मांग या कानून में संशोधन के पक्ष में नहीं हैं। एनसीपीसीआर की अध्यक्ष ने संवाददाताओं से कहा, "मैं किशोर के लिए मौत की सजा की मांग से पूर्णत: असहमत हूं। उसके साथ किशोरों की तरह व्यवहार होना चाहिए और उसके खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार ही मुकदमा चलाया जाना चाहिए।"
यह पूछे जाने पर कि क्या कक्षा तीन के प्रमाण-पत्र में दर्ज उम्र को सबूत माना जाना चाहिए, शांता ने कहा, "ऐसे में जबकि देश में कोई सर्वमान्य जन्म पंजीकरण नहीं है, हमें इस पर निर्भर रहना होगा।" दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म में किशोर आरोपी की बर्बरता को देखते हुए किशोर न्याय अधिनियम में बदलाव किए जाने की उठ रही मांग पर उन्होंने कहा, "नहीं, यह मामला किसी तरह के बदलाव का आधार नहीं हो सकता।"
गौरतलब है कि दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी ने स्कूल प्रमाण-पत्र के आधार पर अपनी उम्र 17 साल छह माह बताई है। शांता ने कहा कि वह केरल के सूर्यनेल्ली में वर्ष 1996 में हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले की पीड़िता से भी मिलने के लिए तैयार हैं, जिसने आरोप लगाया है कि उसका शोषण करने वालों में राज्यसभा के उप सभापति पी. जे. कुरियन भी शामिल हैं।
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