बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों को विश्व धरोहर के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। अब तक इसे धरोहर में शामिल नहीं किया जाना आश्चर्य की बात है। राजगीर में मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के अनुश्रवण समिति की बैठक में भाग लेने आए मुख्यमंत्री ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों को विश्व के धरोहर में शामिल करना उनकी मुहिम रही है। उन्होंने कहा कि अब तो यहां बड़े-बड़े विद्वान आ रहे हैं। भारत सरकार को अब इसके लिए आवाज उठानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री सिगलेट के समक्ष भी इन बातों का जिक्र किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जरूरी है कि नालंदा विश्वविद्यालय ज्ञान के केंद्र के साथ विकास का केंद्र भी बने, इस इलाके के गांव के विकास में सहयोग करे। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय किन-किन गांव से जुड़ा था, इसका पता लगाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व सोमवार को नोबल पुरस्कार से सम्मनित और अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने भी प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को अब तक विश्व धरोहर घोषित नहीं किए जाने को बिहार के साथ अन्याय बताया था। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार को अपने प्रस्ताव में इसे पहली प्राथमिकता बनानी चाहिए और यूनेस्को को भेजा जाना चाहिए।
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