रिजर्व बैंक की एक समिति ने सोने की मांग पर अंकुश लगाने के लिये सोने की बड़ी खरीद में आयकर पैन का का उल्लेखन अनिवार्य बनाने की सिफारिश की है. समिति ने साथ ही सोने पर कर्ज की सुविधा सीमित करने और सोने पर कर्ज देने का कारोबार करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय इकाइयों की शाखाओं पर अंकुश लगाने जैसे कई उपायों का प्रस्ताव किया है.
रिजर्व बैंक की समिति ने निश्चित सीमा से ऊपर की सोने की खरीद में भुगतान चेक से करने, सोने में निवेश को हतोत्साहित करने के लिये दूसरी बचत योजनाएं पेश किये जाने, सोने की खरीद के लिये बैंकों से ऋण पर रोक तथा सर्राफा निगम गठन के दो दशक पुरानी मांग को जैसे उपायों को भी सुझाव दिया है. समिति ने कहा, ‘‘सोने के आयात का चालू खाते के घाटे पर पड़ रहे असर को देखते हुए इसकी मांग कम करने की जरूरत है’’ रिजर्व बैंक खास स्थिति में बैंकों के आयात किये जाने वाले सोने की मात्रा तथा मूल्य पर सीमा लगा सकता है.
फिलहाल कुल सोने के आयात में बैंकों की हिस्सेदारी करीब 60 प्रतिशत है. समिति के अनुसार अपने ग्राहक को जानो प्रणाली को मजबूत करने के लिये एनबीएफसी प्रत्येक कर्जधारक को पांच लाख रुपये से अधिक के सभी ऋण प्रस्ताव पर पैन कार्ड की प्रति मांग कर सकती है.
फिलहाल 5 लाख रुपये से अधिक आभूषण खरीद के लिये पैन कार्ड अनिवार्य है. उसने संपत्ति में तीव वृद्धि, सोने के एवज में कर्ज देने वाली एनबीएफसी के दिये जाने वाले ऋण तथा शाखाओं पर नजर रखे जाने की जरूरत को भी रेखांकित किया है. साथ ही उनके द्वारा कोष जुटाये जाने की समीक्षा किये जाने का भी सुझाव दिया है.
सिफारिशों में स्वर्ण बैंक बनाकर निष्क्रिय पड़े सोने के भंडार के उपयोग किये जाने का भी सुझाव दिया है. ऐसा अनुमान है कि करीब 20,000 टन सोना निष्क्रिय पड़ा हुआ है. साथ ही ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) के भंडार का उत्पादक कार्य में उपयोग किये जाने का भी प्रस्ताव किया है.
स्वर्ण बैंक के बारे में तर्क देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘प्रस्तावित स्वर्ण बैंक को आयात, निर्यात, व्यापार, उधार देने तथा कर्ज लेने तथा स्वर्ण डेरिवेटिव्स में कारोबार करने की अनुमति दी जा सकती है’’
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