इशारे-इशारे में खुद के समर्थ होने का दावा करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को यहां एक महाविद्यालय में दिए गए भाषण में अपने आप को एक ऐसा स्वप्नदर्शी बताया जो भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में देखने की तमन्ना रखता है। दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम वाणिज्य महाविद्यालय (एसआरसीसी) में एक घंटे के भाषण में मोदी ने रेखांकित किया कि सरकार का काम व्यापार चलाना नहीं है, बल्कि सुशासन मुहैया कराना है और यही वे गुजरात में कर रहे हैं।
उधर वामपंथी संगठनों से संबद्ध छात्रों ने मोदी का जमकर विरोध किया। विरोधी छात्रों ने वर्ष 2002 के सांप्रदायिक दंगों में उनकी कथित भूमिका को लेकर उनके खिलाफ नारे लगाए। छात्रों के हाथों में 'मोदी की कलई खोलो' नारे लिखे पोस्टर थे और उन्होंने 'मोदी वापस जाओ' के नारे लगाए।
प्रदर्शनकारी छात्रों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने पानी की बौछारें छोड़ी। अधिकतर छात्र आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) से जुड़े थे। प्रदर्शनकारी छात्र काले लिबास में थे और वे प्रेतात्मा के मास्क पहन रखे थे। मोदी यहां एक संगोष्ठी को संबोधित करने आए थे, जिसका विषय था 'वैश्विक परिदृश्य में उभरता व्यापार मॉडल'।
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