धर्म संसद हुआ मोदीमय, उछला मोदी का नाम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

धर्म संसद हुआ मोदीमय, उछला मोदी का नाम


इलाहाबाद में चल रहे महाकुंभ मेले में आयोजित धर्म संसद में गुरुवार को संतों ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की मांग उठाई।  संगम क्षेत्र के सेक्टर 10 में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की तरफ से आयोजित धर्म संसद में दो संतों ने मंच से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए आगे करने की वकालत की। इतना नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने भी इशारों-इशारों में मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की मांग का समर्थन किया।

स्वामी वासुदेवानंद ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि मोदी ने गुजरात का कायाकल्प करके चमत्कार किया है। वह देश को तरक्की के रास्ते पर लेकर जाएंगे। उन्होंने कहा, "अगर मुसलमान समुदाय के लोग गुजरात की तरह देश के दूसरे हिस्सों में भी सुरक्षित रहना चाहते हैं तो वे मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का समर्थन करें।" एक और संत कौशलेंद्र रामानुजाचार्य ने कहा, "हमें संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी हिंदुत्व का चेहरा हैं। वह प्रधानमंत्री बनें तो सभी साथ देंगे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को स्पष्ट बहुमत मिलेगा।" पंडाल के बाहर भी तमाम संत मोदी के समर्थन में नारे लगाते नजर आए।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि देश में जो आवाज उठ रही है, उस पर भाजपा को विचार करना चाहिए। भागवत ने कहा, "वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को देखकर किसको आगे करना है, इसका फैसला जिसको करना है, हमें उसको करने देना चाहिए। ये उनका कर्तव्य और अधिकार है। उनका फैसला अगर गलत हुआ तो उसका फल भी उन्हें भुगतने देना चाहिए।"

मोदी के समर्थन में मंच से उठ रही मांग को देखते हुए विहिप नेताओं ने मंच पर आकर कहा कि यहां राम मंदिर के मुद्दे पर बात करनी चाहिए। बैठक से पहले विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष एवं मोदी के विरोधी माने जाने वाले प्रवीण तोगड़िया ने कहा, "धर्म संसद में सौ करोड़ हिंदुओं के हितों पर बात होगी, न कि किसी व्यक्ति और किसी दल की अकांक्षाओं पर।"

विहिप के संरक्षक अशोक सिंघल हालांकि पहले ही मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का खुला समर्थन कर चुके हैं। धर्म संसद में विहिप और साधु-संतों ने फिर दोहराया कि केंद्र सरकार अगर मानसून सत्र तक राम मंदिर निर्माण के लिए नया कानून लेकर नहीं आई तो संत समाज देशव्यापी आंदोलन के लिए विवश होगा।

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